गीत/नवगीत

सम्पूर्ण गणेशोत्सव (काव्य रूपक)

                                                   (श्री गणेशोत्सव के अवसर पर विशेष)

भगवान श्रीगणेश की हैं 2 पत्नियां और 2 ...

श्री गणेशोत्सव के सभी अवसरों के लिए स्वरचित भजनों पर आधारित काव्य रूपक

गणपति बप्पा मोरिया, मंगल मूर्त्ति मोरिया

 

1.प्रतीक्षा
गणदेवा आएंगे, खुशियों ने खबर दी है
सब काम बनाएंगे, खुशियों ने खबर दी है-
1.जीवन की सरगम पर, सुर मधुर सजे होंगे
सुर कोई सजाएंगे, खुशियों ने खबर दी है
(तर्ज़-हम देश के गौरव को, महकाएंगे हरदम———–)

2.आह्वान
गणदेव हमारे अंगना में, आ जाओ तुम्हारी जय होवे
मन-नैनों को हर्षा जाओ, आ जाओ तुम्हारी जय होवे-
1.ऋद्धि-सिद्धि-नवनिधि के स्वामी हो, प्रभु घट-घट अंतर्यामी हो
ऋद्धि-सिद्धि-नवनिधि को संग लाओ, आ जाओ तुम्हारी जय होवे-
गणदेव हमारे अंगना में, आ जाओ तुम्हारी जय होवे
(तर्ज़-दिल लूटने वाले जादूगर अब मैंने तुझे पहचाना है———–)

3.स्वागत
स्वागतम गणराज शरणागतम गणराज
स्वागतम सुस्वागतम शरणागतम गणराज-
1.त्रिलोकी के दाता घर आए
दर्शन से नैना हर्षाए
आगतम गणराज शरणागतम गणराज-
(तर्ज़-स्वागतम कृष्णा शरणागतम कृष्णा———–)

4.हर्ष
गणपति तेरे उत्सव ने हमको हर्षाया है
दस दिन के मेले ने आनंद खूब बढ़ाया है-
1.ढोल-नगाड़े खूब बज रहे
शहनाई की प्यारी धुन ने सुर को सजाया है-
(तर्ज़-कैसा सुंदर मृगा वनों में चरने आया है———–)

5.हर्ष (भंगड़ा)
बल्ले-बल्ले गजानन तेरी जय होवे
तुझे भक्तों ने घर में बुलाया गजानन तेरी जय होवे-
तू भक्तों के घर में आया गजानन तेरी जय होवे-
बल्ले-बल्ले गजानन तेरी जय होवे
(तर्ज़-बल्ले-बल्ले भाई रेशमी दुपट्टे वालिए———–)

6.जन्मदिन
नाचो-झूमो आज जन्मदिन गणपत का
खुशियां मनाओ आज जन्मदिन गणपत का-
1.नाचेंगी खुशियां अम्बर में
झूमेगी धरती पल-पल में
मुस्काए जग आज जन्मदिन गणपत का-
(तर्ज़-श्री राधे गोपाल भज मन श्री राधे—————–)

7.विवाह
आई गणपत की बरतिया हमारी नगरी
हो हमारी नगरी हो हमारी नगरी-
1.माथे मुकुट है नैन विशाला गले मोतियन की माला
एकदंत हैं दयावंत हैं रूप है बहुत निराला
सेहरा बांधे गणपत आए झूमे नगरी
आई गणपत की बरतिया हमारी नगरी
(तर्ज़-आई भोले की बरतिया हमारी नगरी———–)

8.होली
मेरे गणपत खेलें होली रे मेरे गणपत खेलें होली
खेलें होली, खेलें होली गणपत खेलें होली मेरे गणपत खेलें होली रे-
1.एकदंत हैं दयावंत हैं मेरे गणपत प्यारे.
मेरे गणपत प्यारे हां मेरे गणपत प्यारे
चारभुजाधारी-गजवदना सारे जग से न्यारे,
सारे जग से न्यारे हां सारे जग से न्यारे
तात शिवा के तनय दुलारे, मां गौरां की आंखों के तारे,
मां गौरां की आंखों के तारे मां गौरां की आंखों के तारे
मेरे गणपत खेलें होली रे मेरे गणपत खेलें होली-
(तर्ज़-मेरा मुर्शिद खेले होली (कव्वाली)——————-)

9.बधाई
शत कोटि बधाई गणराज सफल किया पूजन को
नाचीं खुशियां हमारे साथ सफल किया पूजन को-
1.मूषक पर तुम चढ़कर आए
(देवा) पहन खुशी का ताज सफल किया पूजन को-
(तर्ज़-अंतर तिमिर मिटाना सतगुरु ज्ञान की जोत जगाओ———–)

10.विदाई
गणदेव न लेना विदाई कि, प्रेम की ये रीत नहीं
प्रीत इतनी बढ़ाके चले जाना ये तो कोई प्रीत नहीं-
1.दस दिन तेरा ध्यान लगाया
पल-पल तुझको मन में बसाया
छोड़ जाना कोई जीत नहीं कि , प्रेम की ये रीत नहीं-
(गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस फिर जल्दी आना)
(तर्ज़-जदों याद मैय्या तेरी आए कतियां न जाण पूणियां———-)

11.आरती
तेरी आरती श्री गणराज बचाए हमें संकट से
हे देवों के सरताज बचाए हमें संकट से
1.विघ्नविनाशक नाम तिहारो
(देवा) हरे पाप-संताप बचाए हमें संकट से-
(तर्ज़-अंतर तिमिर मिटाना सतगुरु ज्ञान की जोत जगाओ———–)

12.क्षमा
हम भूलनहार हैं हे दाता तुम बख्शणहार बने रहना
जो भूल हो जाने-अनजाने तुम उसको क्षमा करते रहना-
1.हम दीन हैं तुम हो दीनबंधु, करुणेश प्रभु करुणासिंधु
हम दीनों पर कृपा करके, अपराध क्षमा करते रहना-
(तर्ज़-वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्त्तव्य मार्ग पर डट जाए———-)

13.भोग
आओ भोग लगाओ गणराज नमन हम करते हैं
मन से पूजन कर आज नमन हम करते हैं-
1.भोग में बर्फी-पेड़े-मिठाई
(देवा) लाए हैं मोदक साथ नमन हम करते हैं-
(तर्ज़-अंतर तिमिर मिटाना सतगुरु ज्ञान की जोत जगाओ———–)

14. पुनः आगमन के लिए आह्वान
श्री गणेश हमारे घर आ जाना,
देवा आ जाना, देवा आ जाना-
1.सबसे पहले पूजन पाकर
देवा कारज सफल बना जाना- देवा आ जाना, देवा———
(तर्ज़-भन मन नारायण नारायण नाSराSयण———–)

सबको गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं.

लीला तिवानी द्वारा लिखे गए और गाए गए सम्पूर्ण गणेशोत्सव (काव्य रूपक) का लिंक-

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “सम्पूर्ण गणेशोत्सव (काव्य रूपक)

  • लीला तिवानी

    गणेश जी का रूप निराला हैं
    चेहरा भी कितना भोला भाला हैं
    जब भी आती है कोई मुसीबत
    तो इन्‍होंने ही संभाला है!
    सभी को गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं.

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