लघुकथा

कार्ड

वह जब से विदेश से लौटी थी।अपने कमरे में गुमसुम सी पड़ी रहती थी।उसे किसी बात का होश नहीं था।उसने रात अँधेरे में रो-रो कर काट दी थी।माँ ने सुबह से कई बार उसके कमरे पर दस्तक दी थी।उसने खुद को सँभालते हुए,यही कहा था आ रही हूँ,माँ।अभी सफर की थकान नहीं उतरी हैं।
माँ,बार-बार एक ही जवाब सुनकर लौट गई थी।उन्होंने यही समझा था,बहुत थकी हुई हैं।इतना लम्बा सफर जो था।यही सोच कर माँ ने खुद को समझा लिया था।पर स्वाति के मन में चल रही उधेड़बुन से माँ पूरी तरह अनजान थीं।वह माँ को परेशान भी नहीं करना चाहती थी।माँ के सिवाय दुनिया में उसका था ही कौन?वह माँ-बाप की इकलौती सन्तान जो थी।पिता जी की आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए ही उसने अशोक से विवाह किया था।क्योंकि विदेश में नौकरी करने वाला दामाद उन्हें भा गया था।
स्वाति जैसी पढ़ी-लिखी लड़की के लिए उन्हें अपनी बिरादरी में अच्छा लड़का नहीं मिल रहा था।इकलौती सन्तान को,ऐसे ही तो किसी के साथ नहीं बाँध सकते थे।यही सोचकर अखबारों में विज्ञापन पढ़ते रहते।आखिर उनकी इच्छा पूरी हो गई।जब उन्होंने अशोक के बारे में पढ़ा।उन्होंने तुरंत शादी कर दी।
जब बेटी अपनी जिंदगी की शुरुआत कर रही थी।तो भगवान ने उन्हें अपने पास बुला लिया।वह अन्तिम समय पिता को देख भी नहीं सकी थी।वह अभी इस हादसे से उभर भी नहीं पाई थी कि अशोक का दूसरा चेहरा भी उसके सामने आ गया था।वह पहले से ही शादी-शुदा था।उस पर तो जैसे दुःखो का पहाड़ ही टूट गया था।जमकर लड़ाई झगड़ा हुआ था दोनों में।दोनों पत्नी बुरी तरह टूट गई थी।पहली पत्नी भी इसी तरह धोखे का शिकार हुई थी।
दोनों ने एक दूसरे की आपबीती सुनी और उसे छोड़ कर चली आई।स्वाति अब उसकी शक्ल भी नही देखना चाहती थी।जब उसने माँ को अपनी आपबीती बताई।माँ को यकीन ही नहीं हुआ कि उसकी बेटी के साथ इतना बड़ा हादसा हो गया है।पर वह खुद को सम्भालती रही,अपनी बेटी के लिए।
अशोक उसे बार- बार फोन कर रहा था कि वह वापिस लौट आए।
इसी तरह एक साल बीत गया।वह खुद को सम्भाल चुकी थी।वह उसे सजा देना चाहती थी।अशोक उसे कोर्ट में घसीटने की धमकियाँ दे रहा था।वह उसे बार-बार यही कहता था,मैं तुम्हारी जिंदगी खराब कर दूँगा।वह चुपचाप सुन लेती।माँ के गुजरने के बाद,अशोक का साहस बहुत बढ़ चुका था।
दो दिन बाद,उसकी शादी को एक साल पूरा होने वाला था।स्वाति ने उसे एक सुन्दर सा लिफ़ाफ़ा भेज दिया।जब उसने
उस लिफ़ाफ़े को खोला तो उसकी आँखें फ़टी रह गई।वह बुरी तरह बौखला उठा।लिफ़ाफ़े में शादी का कार्ड था।जिस पर आज की तारीख लिखी थी।आज वह अपनी जिंदगी की नई शुरुआत कर रही थी।वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था।स्वाति ने शादी का कार्ड भेज कर उसकी सारी धमकियों का जवाब दे दिया था।

राकेश कुमार तगाला

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