कहानी

जुड़वा बहनें

डॉ कोमल वर्मा ने नीता से कहा -” नीता अब वो पल आ गया जब तुम पहली बार अपनी आंखों से इस दुनिया को देखोगी! क्या तुम इस बेहतरीन लम्हें के लिए तैयार हो?”
नीता बहुत ही खुश होकर बोली -” जी हां डॉक्टर दीदी ,मैं तैयार हूं!”
डॉ वर्मा बोली -” तो बताओ नीता, जब मैं तुम्हारें आंख की पट्टी खोलू तो सबसे पहले तुम किसे देखना चाहोगी? ”
नीता ने कहा -” अपने मां पापा के साथ साथ नि:स्नदेह अपनी बहन रीता को देखना चाहूंगी , क्योंकि वो जब तक जिंदा रही ना सिर्फ मेरी आँखें बनी रही बल्कि मेरा सहारा भी बनी रही बगैर उसके मेरा एक भी काम सम्पन्न नहीं होता था, और अब मर कर भी मुझें इस लायक कर गई की मैं अब उनकी आँखों से इस दुनिया को देख सकूं, जिसे अब तक सिर्फ मैने महसूस ही किया है! ”
डॉ वर्मा चौंक उठी बोली-“नीता तुम खुद जानती हो की तुम्हारी बहन रीता अब इस दुनिया में नहीं रही, उसकी दोनों किडनी फैल हो चुकी थी और उसे हार्ट की भी गंभीर बीमारी थी, पर मरने से पहले उसने अपनी आंखें तुम्हें दान करती गई! और मैने ऑपरेशन करके उसकी आँखें तुम्हें लगाई है जो की पूरी तरह सफल रही! अब रीता को तुम्हारे सामने कहां से लाऊ..? ”
नीता ने कहा -” डॉक्टर दीदी मैं अच्छी तरह जानती हूं की मेरी बहन अब इस दुनिया में नही रही, और बदकिस्मती देखो मेरी कि, आज जब मैं इस दुनिया को देखने लायक हुई तो वो नही है, जबकि वो बचपन से मेरी बैशाखी बन कर मेरे साथ रही! मैं चाहती हूं की मेरे मम्मी और पापा रीता कि एक बड़ी सी तस्वीर लेकर मेरे सामने खड़ी रहे, मेरे आँखो की रोशनी रीता के वजह से आई है, तो पहले उसकी तस्वीर को ही देखना चाहूंगी मैं! ”
डॉ. कोमल ने प्यार से नीता के सिर पर हाथ फेरा और बोली-  ” गुड गर्ल तुम्हारी ये इच्छा पूरी जरूर होगी, तुम्हारे माता- पिता सामने है और वे तुम्हारी बातें सुन कर थोड़े भावुक भी हो गए है! उन्हें अपनी बेटी रीता याद आ गई! देखो नीता मैं जहां तक जानती हूं की तुम और रीता जुड़वाँ बहनें थी, और तुम जन्मांध (जन्म से अंधी) थी! तुम दौनों का लालन पालन तुम्हारे माता पिता ने बड़े प्यार से किया, जैसे जैसे ही तुम दोनों होश संभालते गई तुम्हारी बड़ी बहन रीता जो तुमसे सिर्फ पन्द्रह मिनट कि बड़ी थी वो तुम्हारी बैशाखी बनती गई, उसने हमेशा अपने बड़े होने का फर्ज निभाया! पढाई लिखाई भी तुम दौनो ने साथ की, तुम ब्रेल लिपि (अंधे बच्चों के लिए पढने वाली लिपि) कि क्लास करती थी! रीता तुम्हें अपने साथ ले जाकर क्लास करवाती थी और रास्ते की, दुनियां जहान की हर बातें बताती, कहने का मतलब यह कि तुम तब भी उनकी हीं आखों से दुनियां को देखती थी और अब भी दखोगी ! मुझे याद है ग्रेजुएशन पास कर रीता उस समय खुशी से फूले नही समा रही थी क्योंकि तुम भी अपनी पढाई पूरी कर चुकी थी ! और उसी टाइम रीता के सीने में दर्द होने पर वो मेरे हॉस्पीटल में इलाज के लिए आई! जांच वगैरह कर के मैने बताया कि रीता को गंभीर हार्ट प्रॉब्लम है, और उस से भी ज्यादा चिंता इस बात कि है की रीता की एक किडनी बचपन से ही काम नह़ी कर रही थी, वह सिर्फ एक किड़नी के सहारे अब तक जिंदां थी! मैने जब यह चिंता तुम्हारे माता पिता के सामने प्रकट कि तो वे लोग अत्यधिक चिंतित हुए! एक दिन रीता मेरे पास आई और बोली -” डॉक्टर दीदी आपने मेरे माता पिता से ऐसा क्या कह दिया कि वो आज कल काफी चिंतित रहते है? ”
मैं उन्हें उसकी समस्या के बारे में बताना नहीं चाहती थी, वो घबरा जाती और घबराहट और चिंता में जो तीन चार साल ओर जिंदा रहने वाली थी वो नहीं रह पाती! अतः मैने बहाने बना कर कहा कि कुछ नही बस वो लोग तुम्हारी फिक्र करते है! मैं काफी टाइम से तुम्हारा इलाज कर रही हूं और सुधार कुछ खास नही हुआ है, तो उन्हें किसी अन्य डॉक्टर से दिखाने कि सलाह दी है! तुम चिंता मत करो जल्द ही ठीक हो जाओगी! ”
तब रीता ने कहा -” डॉक्टर दीदी मैं जानती हूं आपने मेरी बीमारी के बारे में माता पिता को बता दिया है, जो कि आपको नहीं बतानी चाहिए थी! मैं तीन साल पहले से जानती हूं कि मेरे हार्ट के मध्य एक होल है, जिस कारण कभी भी मेरी मौत हो सकती है, इतना ही नही मैं ये भी जान रही हूं कि विधाता ने मुझे इस धरती पर सिर्फ एक किडनी दे कर भेजा है, पता नही क्यों विधाता ने मेरे माता पिता को जुड़वाँ संतान के रूप में हम दो बहने को दिया, अगर दिया भी तो स्वस्थ शरीर क्यों नहीं दिया! जहां मेरी बहन जन्म से अंधी है, वहीं मैं एक किड़नी और दिल में छेद लिए इस धरती पर आई! ”
“पर रीता तुम्हें अपनी इन दौनों बीमारी के बारे में किसने बताया?
रीता बोली – “डॉक्टर दीदी ये भी कुदरत का ही एक करिश्मा है कि मुझ जैसी शारीरिक रूप से अपंग लड़की को खैल कूद और एनसीसी में दिलचस्पी थी! मैं एक एन सी सी की छात्रा रह चुकी हूं! मैं देश की सेवा हेतु सेना में जाना चाहती थी, सेना में जाने हेतु सभी परीक्षा में पास होने के बाद जब मेरा मेडिकल जांच हुआ तब मुझे बताया गया की मेरे साथ ये सारी समस्या है! अपनी इन समस्याओं के साथ मैं फौज ज्वाइन नहीं कर सकती थी! मैने तब सोचा जब तक मेरी जिंदगी है क्यों ना अपनी बहन और माता पिता के लिए खुशी से जीऊ! सेना के उस डॉक्टर ने कहा था की मेरे पास चंद वर्ष ही शेष है! मैं तब से दिल मैं ठान चुकी थी कि अपनी मौत के बारे में सोच कर डर- डर कर जीने से अच्छा है मौत के बारे में सोचना ही छोड़ दू, वो तो जब आनी है आएगी ही, क्यों ना खुद भी खुश रहूं और अपने फेमिली को भी खुशी दूं! तब से मैं हमेशा खुश और प्रसन्न रहती हूं, अपनी बहन की आंखें बन कर हमेशा उनके आस पास रहती हूं! पर आज सीने में हल्की दर्द क्या हुई आपने इतने सारे जांच करवा दिए, अगर मैं उस वक्त बेहोश ना होती तो मैं खुद ही अकेलें में आपको बता देती कि मेरे साथ ये प्रॉब्लम है और आप मां पापा से ऐसा कुछ नहीं कहेंगी! पर अफसोस कि ऐसा हो ना सका! खैर डॉक्टर दीदी आप मेरे माता पिता के चेहरे पर दुबारा खुशियां ला सकती है! ”
” कैसे?? “मैने पूछा !
तब रीता बोली -” आप मेरे पैरेंट्स से कहिएगा कि रीता की रिपोर्ट के बारें में कुछ गलतफहमी हो गई थी, रीता पूर्णतः स्वस्थ है, उन्हें बस थोड़ी सी गैस प्रॉब्लम है! ”
” नहीं रीता, मामला बहुत गंभीर है, तुम्हारी हालत जिस कंडीशन में है मैं उन लोगों को अंधेरे में नहीं रख सकती, मैं उन्हें झूठा दिलासा नहीं दे सकती! ”
रीता गिड़गिड़ा उठी, बोली -” दीदी प्लीज! बात को समझिये, डॉक्टर का काम जीवन बचाना है, किसी कि जीवन लेना नहीं! एक झूठ से किसी का भला हो तो वो आपको जरूर बोलना चाहिए, जरा सोचिए, मैं तो क्रिटिकल कंडीशन में हूं ही, मेरा बचना नामुमकिन है, एक तो किड़नी दान करने वाले आसानी से मिलते नहीं,अगर पैसों के बल पर मेरे पैरेंट्स ने किडनी का जुगार कर भी लिया तो भी दिल में छेद होने के कारण कभी भी मेरी मृत्यू निश्चित है! मैं भले ही दो तीन साल बाद मरू पर मेरी चिंता में मेरे माता पिता दो महीने के अंदर ही मर जाएगी,फिर आप ही बताइये मेरी अंधी बहन का क्या होगा?? कौन उसकी देखभाल करेगा, हो सकता है मेरे माता पिता के मौत का सदमा मैं भी बरदाश्त ना कर पाऊ और मेरा दिल काम करना बंद कर दे! ऐसी स्थिति में क्या होगा आप ही अंदाजा लगाइये? ”
रीता के तर्कपूर्ण बातें मुझे सोचने पर विवश कर दिया, सच में ऐसा होने कि संभावना दिख रही थी, और रीता जिस कदर जिंदादिल लड़की थी मन ही मन उसके हिम्मत की तारीफ किए बिना नहीं रह सकी! ऐसी हिम्मत वाली लड़की दुनिया में गिने चुने ही होंगी, जिसे मालूम है कि मैं किसी भी क्षण मर सकती हूं ,वह अपना जीवन इतने बिंदांस ढंग से जी रही थी, ऐसी क्रिटिकल परिस्थिति में अच्छे अच्छे लोग टेंशन और घबराहट के मारे समय से पहले ही मर जाते है! सच में बहुत हिम्मत वाली लड़की थी रीता!
मैने उनसे वायदा लिया कि मैं तुम्हारें पेरेंट्स से मिल कर तुम्हारे कारण पहली बार अपने प्रोफेशन में झूठ बोलंगी! तुम्हारी जैसी साहसी लड़की के लिए इतना तो कर ही सकती हूं!”
तब रीता ने एक और वायदा लिया मुझसे बोली -” दीदी आप मेरी एक छोटी सी हैल्प और कर देना, ये कुछ पेपर रखिए अपने पास, ये नेत्रदान की कानूनी प्रक्रिया कि वो पेपर है जो मेरे मरने के बाद आपके काम आएगी, मैं स्वेच्छा से अपनी आंखें अपनी छोटी बहन नीता को दान कर रही हूं, इसके अलावा ये एक पेपर और भी है जो मेरी बहन नीता के लिए है, जब उनके चेहरे पर मेरी आंखों का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण हो जाएगा, और जब वो मेरी आँखों से पहली बार इस दुनिया को देखेगी तब ये कागज उन्हें आप दे दिजिएगा!”
नीता की उत्सुकता अब उस पेपर में क्या है ये जानने की हो उठी, बोली -” डॉक्टर दीदी क्या आप बता सकती है की उस पेपर में क्या है जो मेरी बड़ी बहन ने मेरे लिए आज से तीन साल पूर्व दिया था! ”
डॉ. वर्मा -” ये तो मैं नहीं जानती नीता की उस कागज में क्या है?पर वह पेपर एक लिफाफे के अंदर सीलबंद है, मैने उसे कभी खोलने की कोशिश भी नहीं की! और दूसरी बात जब वह कागज उन्होनें दिया था उसे खुद नही मालूम था की वह तीन साल और जी पाएगी! ”
” फिर तो डॉक्टर दीदी आप जल्दी से मेरी आंखो की पट्टी खोलिए, अब जब दीदी हमारे बीच नहीं है, उनकी आंखे है मेरे पास,और मुझे ये जानने की बेहद उत्सुकता है कि दीदी ने उस लिफाफे में कौन सा पेपर मेरे लिए छोड़ गई है! ”
“श्योर… ” कह कर डॉ. वर्मा अपने नर्स और कंम्पाउंडर को जरूरी चीजें तैयार करने का आदेश दिया!
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” हां तो नीता सारी पट्टियां कट चुकी है, अब में धीरे से तुम्हारें आँखो के उपर से रूई का ये अंतिम आवरण हटा रहा हूं, तुम अब आहिस्ते आहिस्ते अपनी आंखे खोल सकती हो! पर ध्यान रखना आखें खोलते ही पहले हल्की धुंधली फिर धीरे धीरे आंखों में तेज रौशनी सा प्रतीत होगा, ऐसी की तुम्हारी आँखे चुंधिया सी जाएगी! तुम डरना नहीं पुनःअपनी आँखे बंद कर फिर धीरे धीरे खोलना! फिर रोशनी जब नहीं सही जाएगी तो पुनः बंद करना पुनः खोलना, ये प्रक्रिया तीन चार बार दोहराना! जैसे ही तुम्हारी आंखों की रेटिना बाहरी रोशनी को सहने लायक होगी फिर सब कुछ तुम्हें साफ साफ दिखने लगेगा! शुरूआत में तुम्हें कुछ मामूली परेशानी होगी जैसे अपने माता पिता को देखोगी तो वो जब तक चुप रहेंगे तुम नजर से देख उन्हें पहली दफा नहीं पहचान पाओगी, पर जब वे बोलेंगे तो तुम्हारे मस्तिष्क की नसे तुम्हारे दिमाग को ये याद कराएगी की इस आवाज का मालिक तुम्हारे जेहन में कौन है, फिर तुम्हें याद आएगा की अरे ये तो मेरे पापा की आवाजे है! फिर तुम्हारी आंखें मस्तिष्क को तुम्हारे पापा के चेहरे का फोटो भेज हमेशा के लिए स्टोर करके पुनः पहचान के लिए सहेज लेगा! ऐसा लगभग तुम्हारे सभी जानने वाले के साथ होगा, क्योंकि अभी तक तुम सबको उसके आवाज से पहचानती थी अब आवाज और श्क्ल दोनों से पहचानोगी!
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वैसा ही हुआ, पट्टी खुलने के बाद शुरू में नीता को थोड़ी परेशानी आई, पर अब सब ठीक ठाक दिख रहा था! फिर डॉ.कोमल ने नीता को वह सीलबंद लिफाफा दिया !उस पर उपर में बड़े अक्षरों में लिखा था मेरी प्यारी बहन नीता के लिए…
झट से नीता ने लिफाफा खोला, उसमें एक पत्र था जिसमें लिखा था –
मेरी प्यारी बहन नीता,
अगर तुम ये पत्र पढ रही हो तो तुम्हें ढेर सारी शुभकामनाएं!
मुझे खुशी है की मेरा सपना पूरा हुआ, मैं चाहती थी की तुम भी मेरी तरह इस बेहतरीन दुनिया कों अपनी आँखों से देखो, अपने माता पिता का हंसता चेहरा देख तुम भी खुशी से झूम उठो, पर ये तब संभव नहीं था, मेरी बीमारी की खबर जब मुझे पहली बार मिली और सेना के डॉक्टर ने मुझे बताया था की मैं कुछ वर्षों की ही मेहमान हूं तो मेरे अंदर जल्द से जल्द मरने की लालसा उत्पन्न हो गई पर कुदरत ने मुझे फिर भी चार वर्ष जिंदा रहने का मोहलत दिया! करीब एक सप्ताह पहले मैं डॉ. कोमल दीदी के पास आई थी इलाज के लिए, सारी बाते डॉ. दीदी बताई ही होगी, मैं डर गई की जिस प्रकार आज सीने में दर्द के वजह से मैं बेहोश हो गई, कभी अचानक मेरे प्राण निकल गए तो…?
अतः मैने आज ही सारी प्रकिया खत्म की, सारी बातें मैं कोमल दीदी को बता कर उन्हें कैसे भी कर के मना लूंगी, ये पत्र भी आज ही सीलबंद करके मैं उनको दे दूंगी! पर मैं नहीं जानती ये पत्र देने के कितने दिनों बाद मैं मरूंगी पर मरना तय है ये मैं जानती हूं! जिस वक्त मैं ये पत्र लिख रहीं हूं तुम मेरी बगल में ही बैठी हो, पर तुम ना जाने किन ख्यालों में गुम हो, अभी अभी मम्मी से मेरी बहस हुई, मम्मी मेरी शादी को लेकर बातें कर रही थी, और तुम मम्मी को मेरी शादी जल्द से जल्द करने के लिए उकसा रही हो!उसी वक्त ये पत्र लिख रही हूं! मैने साफ मना कर दिया है कि मैं शादी नहीं कर सकती अगर करना है तो एक अच्छा सा लड़का ढंढ कर छुटकी (नीता)की ही करवा दो!
मां ने इस पर ताना भी मारा की ये कहां का नियम है की बड़ी बहन कुंवारी रहे और छोटी का ब्याह रचवा दूं!
मैने मां से कहा -” उफ मां क्या बड़े छोटे की बात कर रही हो, सिर्फ पन्द्रह मिनट पहले मैं जन्म ली, इतना छोटा उम्र  का अंतर कौन देखने जाता है?”
छुटकी तुमको अब पता है कि मैने हर बार अपनी शादी की बातें क्यों टाल देती थी! सुनो बहन मेरे बाद मम्मी पापा का और खुद अपना ध्यान रखना! आज पापा और मां बहुत चिंतित है, मैं कोमल दीदी से मिल कर आज ही इनकी चिंता दूर कर दूंगी! तुम हमेशा खुश रखना!
तुम्हारी बड़ी बहन
– रीता
(दिनांक 10/06/2015)
दिनांक देख नीता समझ गई इस पत्र के लिखने के बाद भी उसकी बहन तीन वर्ष तक जिंदा रही थी! वह उस दिन को याद करने लगी जब तीन साल पहले घर में मां ने उसकी शादी की चर्चा की थी, रीता कड़े शब्दों में जब मना कर दिया तो किस प्रकार वो अपनी मां को उकसाना शुरू की थी! सच में वो बहुत ही साहसी लड़की थी, मौत के खौफ को कभी उसने खुद पर हावी ही न होने दिया, तभी तो इतने ज्यादा दिन जी ली !
नीता ने पत्र को पढ कर पुनः उस तस्वीर को गले से लगा लिया जो तस्वीर नीता के माता पिता ने अपने हाथों में थाम लिया था! बोली नीता -” वादा है बहन तुम्हारी सारी उम्मीदों पर खड़ा उतरूंगी! “

ओम प्रकाश “आनंद”

ओम प्रकाश 'आनंद'

मेरा पूरा नाम ओम प्रकाश राय है। मैं मूल रूप से बिहार के मधेपुरा जिले (गांव - गोठ बरदाहा) का रहने वाला हूं। मेरी जन्म तिथि 6 मार्च 1985 है। मैने ग्रेजुएशन (Zoology Hons. ) तक की पढाई की है जो साल 2008 में पूरी हुई। हिंदी साहित्य पढने और लिखने में रूचि शुरू से ही है। मैं अपने प्राइवेट नौकरी के दौरान मिले खाली समय का उपयोग लिखने व पढने में करता हूं। मेरी लिखी रचना पर आपके सुझाव, शिकायत और अन्य प्रतिक्रिया का स्वागत है। मेरी अन्य रचनाएं आप प्रतिलिपि पर भी पढ सकते है।