कविता

राधा – कृष्ण

हम जब अपने ,
अस्तित्व से ऊपर हो ।
अपना साक्षात्कार पा जाते है।
ईश्वर आधाररूप प्रेम हो जाते है।
उस क्षितिज बिंदु पर,राधा हो जाते है।
जब समर्पित हो जाते है,
 प्रेम का आसित्व हो जाते हैं ।
वो प्रेम में रमे ,
हृदय राधा  हो जाते है।
जो ध्येय को समर्पित हो,
ध्यान पा जाते है।।
उसी में एकीकार हो ,
राधा कृष्ण,
कृष्ण राधा हो जाते हैं।
— प्रीति शर्मा असीम 

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- aditichinu80@gmail.com