बाल कविता

बाल कविता

आओ बच्चो चलो खेलने
सब मिलकर बजाओ ढोल
बादल उमड़ घुमड़ रहे है
बिजली चमक रही है चम चम।
मेघ देखकर मोर नृत्य करता
सब बच्चों को खूब मन भाता
बच्चें भी खूब नृत्य करते
जैसे मोर को देखे वैसे।

दादा दादी नाना नानी
सबने देखा बच्चों का खेल
सभी देखकर झूम रहे है
खेल कितना है अलबेल।

— विजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।