मुक्तक/दोहा

मुक्तक

“मुक्तक”

बादल वर्षा ले गया, हर्षित लाली व्योम।
रविकर की अद्भुत छटा, चिपका तन में रोम।
हरियाली गदगद हुई, आयी भाद्री तीज-
राधे चित मुस्कान मुख, ऋतु अनुलोम विलोम।।

सजनी साजन के लिए, है निर्जल उपवास।
प्यास लगी मन जोर की, पति पूजा है खास।
बिन साजन पावस कहाँ, पत्नी बिनु कहँ चैन-
माँ भारत की गोंद में, व्रत सुखकर अहसास।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ