कविता

आख़िर कब तक यूँही

आखिर कब तक यूँ ही कोरोना का दंश सहेंगे?
आखिर कब तक निज गृह में क़ैद रहेंगे।

नीरव हो चुके हैं हॉल, मॉल और विद्यालय,
क्षुब्ध हो गया है मन,और मन का आलय,
आखिर कब तक मास्क के पीछे छुपते रहेंगे?
आखिर कब तक यूँ ही कोरोना का दंश सहेंगे?

कब मित्रमंडली में मौज मस्ती हम मनाएंगे?
कब घनिष्ठ मित्र को हृदय से लगा पाएँगे?
कब तक छँट जाएँगे महामारी के मेघ?
आखिर मन की बात मन से मन कब कहेंगे?
आख़िर कब तक यूँ ही कोरोना का दंश सहेंगे?

त्राहि -त्राहि मची है अब विश्व पटल पर,
मृत्यु अवश्यम्भावी ,जीवन है अटल पर,
बालक पढ़ रहे हैं तकनीकी के माध्यम से घर में,
कब तक ऑनलाइन कक्षा शिक्षण के सहारे रहेंगे?
आखिर कब तक यूँ ही कोरोना का दंश सहेंगे?

— प्रीति चौधरी “मनोरमा”

प्रीति चौधरी "मनोरमा"

पिता का नाम श्री सतेन्द्र सिंह माता का नाम श्रीमती चंद्रमुखी देवी जन्म स्थान ग्राम राजपुर,पोस्ट मलकपुर (बुलन्दशहर) पति का नाम श्री सुभाष सिंह डबास स्थायी पता श्रीमती प्रीति चौधरीW/o श्री सुभाष सिंह डबास ग्राम+पोस्ट लाड़पुर तहसील स्याना बुलंदशहर(यू०पी०) पिन कोड 203402 फ़ोन नंबर 9719063393 जन्मतिथि 05/08/1985 शिक्षा बी०ए०,एम०ए०,बी०एड०, विशिष्ट बी०टी०सी० व्यवसाय अध्यापन प्रकाशित रचनाओं की संख्या लगभग 66 प्रकाशित पुस्तकों की संख्या आखर कुँज(साझा संग्रह), स्वरांजलि(साझा संग्रह), रत्नावली(साझा संग्रह) प्रकाशनाधीन साझा संग्रह मैं निःशब्द हूँ (साझा संग्रह) हे भारत भूमि(साझा संग्रह) उन्मुक्त परिंदे (साझा संग्रह), नवकिरण (साझा संग्रह) काव्य सृष्टि (साझा संग्रह) शब्दों के पथिक (साझा संग्रह) सम्मान का विवरण साहित्य शिरोमणि सम्मान, स्वामी विवेकानंद साहित्य सम्मान, माँ वीणापाणि साहित्य सम्मान आदि।