गीत/नवगीत

उद्धव गोपी संवाद

 सुनो उद्धव  सुनाते  हैं  हमें जो  तुम  बताते  हो
ज्ञान की योग  की बातें हमें जो तुम सिखाते हो
समझ हम कुछ ना पाते है व्यथा मन की सुनाते है
हमारा  मन  नहीं  वश  में तुम्हे कारण बताते है

हमारा मन तो बसता है कमल नयनों में उन्हीं  के
उन्हीं की तिरछी चितवन में मीठे बैनो में उन्हीं के
उन्हीं अधरों में मुरली में उन्हीं स्ंग रम से जाते है
हमारा  मन  नहीं  वश  में  तुम्हे कारण  बताते है
सुनो उद्धव सुनाते हैं…………………….

तरसती है मेरी अंखियां नयन दर्शन को प्यासे है
गए जब  से  मेरे  प्रियवर  सभी  बैठे  रुआंसे है
ह्रदय  के सूने  ये  उपवन  उन्हें  वापस बुलाते है
हमारा  मन नहीं  वश में  तुम्हे  कारण  बताते है
सुनो उद्धव सुनाते है…………………….

छोड़ जब से गए  प्रियतम  देह निष्प्राण रहती है
बनी  बैरन  लता कुंजे  ना जगती  है ना सोती है
देह तपती  विरह  से  यूं लिपट चन्दन से जाते है
हमारा  मन  नहीं  वश में  तुम्हे  कारण बताते है
सुनो उद्धव सुनाते हैं…………………….

अति मोहक मधुर वंशी  हमें  विस्मृत ना होती है
रैन नागिन सी ये काली  हमे  डसने को  होती  है
नंदनंदन  की  सब लीला नहीं  हम  भूल  पाते है
हमारा  मन  नहीं  वश  में  तुम्हे  कारण बताते है

सुनो  उद्धव  सुनाते  है  हमें  जो  तुम  बताते  हो
ज्ञान  की योग  की बातें  हमें  जो तुम सिखाते हो।।

— अनामिका लेखिका

अनामिका लेखिका

जन्मतिथि - 19/12/81, शिक्षा - हिंदी से स्नातक, निवास स्थान - जिला बुलंदशहर ( उत्तर प्रदेश), लेखन विधा - कविता, गीत, लेख, साहित्यिक यात्रा - नवोदित रचनाकार, प्रकाशित - युग जागरण,चॉइस टाइम आदि दैनिक पत्रो में प्रकाशित अनेक कविताएं, और लॉक डाउन से संबंधित लेख, और नवतरंग और शालिनी ऑनलाइन पत्रिका में प्रकाशित कविताएं। अपनी ही कविताओं का नियमित काव्यपाठ अपने यूटयूब चैनल अनामिका के सुर पर।, ईमेल - anamikalekhika@gmail.com