गीतिका/ग़ज़ल

कभी कुछ लाभ होता है कभी नुकसान होता है

कभी कुछ लाभ होता है कभी नुकसान होता है

कहाँ सौदे का कोई तयशुदा ईमान होता है

 

कोई दौलत में बिक जाता है तो कोई मुहब्बत में

हर इक ईमान का अपना अलग परिमाण होता है

 

ग़ज़ल कहनी नहीं पड़ती ख़ुद अपने आप होती है

तेरे अहसास का जब जब मुझे फ़रमान होता है

 

मेरी ज़ानिब चले आओ या अपना लो ज़माने को

कहानी का हमेशा एक ही उन्वान होता है

 

फिर उसके बाद का जीना ज़हन्नुम से भी मुश्किल है

किसी से दूर होना तो बहुत आसान होता है

 

अलग दस्तूर है सरकार की इन योजनाओं का

गरीबों के बदल अगुआओं का उत्थान होता है

 

निहत्थे आना जाना सिर्फ़ कहने भर को है ‘कुलदीप’

सफ़र में साथ सबके कुछ ना कुछ सामान होता है

 

Kuldeep

महेश कुमार कुलदीप

स्नातकोत्तर शिक्षक-हिन्दी केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-3, ओ.एन.जी.सी., सूरत (गुजरात)-394518 निवासी-- अमरसर, जिला-जयपुर, राजस्थान-303601 फोन नंबर-8511037804