कविता

खूब पढ़ाते टीचर जी

अच्छी बात हमें सिखाते, टीचर जी।
मेहनत से खूब पढ़ाते, टीचर जी।।
मोती से दांत चमकते, आंखे तेज।
पान-मसाला नहीं चबाते, टीचर जी।।
होमवर्क न करके लाते बच्चे जो।
तब डांटते, चपत लगाते, टीचर जी।।
कोई बात समझ न आती,  हम कहते।
एक नहीं दस बार बताते, टीचर जी।।
पढ़ाते-लिखते मन जब लगे ऊबने।
कविता, गीत, कथा सुनाते टीचर जी।।
शेर-बकरी, लंगडी-दौड़, नेता-खोज।
बहुत सुंदर खेल खिलाते टीचर जी— प्रमोद दीक्षित मलय

*प्रमोद दीक्षित 'मलय'

सम्प्रति:- ब्लाॅक संसाधन केन्द्र नरैनी, बांदा में सह-समन्वयक (हिन्दी) पद पर कार्यरत। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलावों, आनन्ददायी शिक्षण एवं नवाचारी मुद्दों पर सतत् लेखन एवं प्रयोग । संस्थापक - ‘शैक्षिक संवाद मंच’ (शिक्षकों का राज्य स्तरीय रचनात्मक स्वैच्छिक मैत्री समूह)। सम्पर्क:- 79/18, शास्त्री नगर, अतर्रा - 210201, जिला - बांदा, उ. प्र.। मोबा. - 9452085234 ईमेल - pramodmalay123@gmail.com