गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

तेरे चाहत  को  भुलाना    चहता हूं
जलते दिल को जलाना   चाहता हुं
मेरे राहों के सामने से किनारे हट जा
मैं कहीं दूर बहुत दूर जाना चाहता हूं
कोई  समझा  नहीं    मेरे   बात   को
मैं  तड़पता    रहा     मुलाकात    को
इन्तजार इन्तजार इन्तजार  कब  तक
दर्द-ए-दिल     मिटाना     चाहता   हूं
मैं कहीं दूर बहुत दूर जाना चाहता हूं
तेरे चाहत को भुलाना   चाहता     हूं
भूख प्यास नींद चैन सब   छीन  गया
अब यूं ही जिन्दगी बिताना  चाहता हूं
शहर में आग लगे या शरीर में आग लगे
        क्या फर्क पड़ता है
एक दिन  जलना है  जलना  चहता हूं
ज़िन्दगी जीने की शौक तो मुझमें भी है
अब  तो  जीने    का  बहाना   चहता हूं
मैं कहीं दूर बहुत  दूर  जाना  चाहता हूं
दर्द-ए-दिल     मिटाना     चाहता     हूं
तेरे चाहत को  भुलाना      चहता      हूं
—  सी.पी.गौतम

चन्द्र प्रकाश गौतम

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय छात्र मीरजापुर उत्तर प्रदेश पिन कोड 231306 मोबाइल नंबर 8400220742