कविता

गुरुवर

मन है आज मेरा बहुत हर्षित पुलकित,
गुरु के चरणों में है पुष्प श्रद्धा के अर्पित।

शिक्षक दिवस है पर्व पावन सुनहरा,
गुरु-शिष्य का रिश्ता है सबसे गहरा।

आपसे ही महकता है यह सारा संसार,
गुरुवर आप ही हैं इस सृष्टि के आधार।

हे प्रिय ! गुरुवर आपके उपदेश और वचन,
करते हैं सारे जग और संसार को चमन।

आपकी महत्ता का मैं क्या बखान करूँ ?,
आपके गौरव का कैसे मैं गुणगान करूँ?

माता-पिता से पहले आपका स्थान आता है,
आपके आगे ईश्वर भी नतमस्तक हो जाता है।

डरती है मेरी कलम आपके लिये लिखने में,
की कोई भूल न हो जाये शब्दों को गढ़ने में।

हे गुरुवर ! “नवनीत” करता है बार-बार वंदन,
आपके चरण स्पर्श से मैं हो जाता हूँ सम चंदन।

— नवनीत शुक्ल

नवनीत शुक्ल

शिक्षक/सम्पादक रायबरेली-उत्तर प्रदेश मो.न.- 9451231908 शिक्षक