लघुकथा

सच्चा हीरा

”कोरोना ने लाखों को कहीं का नहीं छोड़ा, भारत में दो करोड़ लोग फिर हो सकते हैं गरीब!” इस समाचार ने सबका दिल दहला दिया था.

”देख रहे हो हीरालाल! क्या समाचार आया है?” हीरालाल गॉर्ड के साथी झा ने समाचार दिखाते हुए चिंता जताई.

”अमीर-गरीब तो मन से होता है. अब मुसीबत आई है, तो उसे तो झेलना ही पड़ेगा न!” हीरालाल ने तपाक से कहा.

”इस गरीबी को रोकने के लिए सरकार को कुछ तो करना चाहिए न!”

”सरकार ने गरीबों के लिए क्या नहीं किया है? पहले मुफ्त में गैस-कनेक्शन दिया. कोरोना के शुरु होते ही पर व्यक्ति महीने में 9 किलो अनाज दिया, गैस सिलिंडर भी मुफ्त दे रही है, महिलाओं को हर महीने 500 रुपये दे रही है. जरूरत पड़ने पर बना-बनाया खाना भी बंटवाया, घर बैठे कच्चा राशन भी मुहय्या करवाया, हमें भी तो संतुष्ट रहना आना चाहिए न!”

”इतने भर से गरीबी चली जाएगी क्या?” झा की असंतुष्टि कब शांत होने वाली थी.

”जो अपने आप में संतुष्ट रहता है,
वह परम सुखी बन जाता है.
परम सुखी कभी गरीब नहीं होता.”

”बड़े संत बन गए हो!”

”संत नहीं बना हूं, सच्चाई बता रहा हूं. घर में मुसीबत आती है, तो सब मिलकर मुकाबला करते हैं न! अब देश पर मुसीबत आई है, तब भी हमें दिल से सरकार का साथ देकर मिल-जुलकर यही करना होगा. सरकार अब भी मोबाइल पर हमारा हाल-चाल पूछ रही है, जरूरत पड़ने पर कोरोना की जांच करवाने की सलाह दे रही है, मुख्य मंत्री का रोज सावधान रहने का संदेश आ रहा है, इससे अधिक और क्या चाहिए?” झा क्या जवाब देता?

”दिल्ली के मुख्यमंत्री जी ने एक व्यक्ति को फोन करके कुशल समाचार पूछा. ”जी बस ठीक हूं, दो दिन से थोड़ा बुखार है.”

”आपने कोरोना का टेस्ट करवाया?”

”नहीं.” बंदे ने ढीठता से कहा.

”क्यों?” मुख्यमंत्री जी अचंभित थे.

”सब ऐसे ही ठीक हो रहे हैं.” बंदे ने टका-सा जवाब दिया.

अब बताओ, दोष हमारा है या सरकार का!” हीरालाल ने प्रश्न का दमदार गोला दागा.

हीरालाल का साथी संतुष्ट हुआ या नहीं, अलबत्ता पास से गुजरते मित्तल साहब को यह बात समझ आ गई थी, किअच्छाइयां देखने और संतुष्टि की भावना के पोषक हीरालाल जैसे सच्चे हीरे के रहते देश की सुरक्षा में कोई संदेह नहीं है.”

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “सच्चा हीरा

  • लीला तिवानी

    यह समय डरने-डराने का नहीं, एक दूसरे का हौसला बढ़ाने का है. हौसला है तो हम हैं. अभी भी देखने में आ रहा है, कि लोग बिना मास्क लगाए बेखौफ घूम रहे हैं, सामाजिक दूरी के धज्जे उड़ाए जा रहे है. संभ्रांत दिखने वाले लोग भी सड़क पर धूम्रपान करते हुए दिखाई दे रहे हैं और शराब पीने वाले लोग धड़्ड़ल्ले से कह रहे हैं, कि शुक्र है शराब की दुकानें खुल गई, वरना जीडीपी में और अधिक गिरावट आ जाएगी. आज सचमुच अच्छाइयां देखने और संतुष्टि की भावना को प्रोत्साहन देने का समय समक्ष है.

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