कविता

गजल

राहो मे रहबरी सिखा रहा है कलंदर॥,

देखो तो काम सदा आ रहा है कलंदर॥

दुनिया मे जीने है सबकुछ ही छोड दो॥

जमाने को ये खूब बता रहा है कलंदर॥

दिखा कर अपने करतब सारे जमाने को,॥

अब सारे जमाने को छोड के जा रहा कलांदर.॥

ये भी है झूटी साथ छोड देगी इक दिन तेरा॥

खूब सबको किस्सा सुना रहा है कलंदर

— आभिषेक जैन पथारिया

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश