सामाजिक

यह कैसी सेवाभाव ?

मैंने ऐसी कथित मंगलव्रती और गुरुवारव्रती महिला को जानता हूँ, जो सास-ससुर को भूल रंगून से आये बैलून वाले पिया को और उनसे उत्पन्न संतान के सिवाय और किसी के बारे में नहीं सोचती है, वे भीखमंगे को दान नहीं करेगी, तो रिक्शेवाले से किराये देने में उलझेगी ! यह कैसी आस्तिकता है, भाई ! जो पत्थर की मूर्ति के सिवाय सजीव मूर्त्ति पर ध्यान नहीं देती ! यानी ‘मेरे तो गिरधर गोपाल, दूजे ना कोई !’
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अगर आप में सेवा की भावना नहीं है, अगर आप दूसरे के प्रति मनभेद पालते हैं, तो यह कैसी आस्तिकता है ? भीतरघाती व्यक्तियों से बचकर ही रहना चाहिए, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष ! अगर मतभेद है तो ‘बेबाक़ीपन’ होंगे ही ! आप अपने हर कृत्य के लिए शाबासी नहीं पा सकते ! लोग हर समय आपकी प्रशंसा नहीं कर सकते! मैं दकियानूसी कृत्य को नहीं अपना सकता ! तभी तो मुझे ‘छद्म आस्तिकता’ पसंद नहीं है।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.