कविता

तन्हाई

हर किसी के जिंदगी में
तन्हाई होती है
और उस तन्हाई में एक
कहानी होती है

सूखे पत्ते की तरह
उड़ जाती है खुशियां
गम की परछाई मन को
घेर लेती है

फासला कम होता नहीं तन्हाई से
वास्ता बढ़ता ही जाता अकेलेपन से

कभी हंसता तो कभी रोता है मन
खुद ही खुद से बाते कर
जिंदगी से लड़ता है

कुछ गम कम नहीं होते
महफिल के रौनक में
संग-संग चलती है तन्हाई
जिस्मों जां से लिपटकर

परिस्थितियां यूं कर देती है बेबस
वक्त की हर आहट पर चुभते हैं लम्हें

हर किसी की जिंदगी में तन्हाई होती है
और उस तन्हाई में
एक कहानी होती है

*बबली सिन्हा

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