कविता

मेरे स्वप्न का भारत

भारत एक पवित्र भूमि है
जहां त्यौहारों की तो होली है॥
रिश्तो में बंधे हर कोइए फिर
भी कहीं ना कहीं कोई कमी है ॥

हम ऐसे देश में है
जहां एक सिनेमा के लिए॥
लाखों विरोधी उतर आए
परंतु एक लड़की के साथ अन्याय हो
तब कोई आवाज भी ना उठाएं॥

हम ऐसे देश में हैं
जहां किसी व्यक्ति की हत्या करने पर ॥
14 वर्ष में कैदी आजाद हो जाए
परंतु जिसके साथ गलत हुआ
उसे सहारा भी ना दिया जाए॥

मेरे सपनों का भारत
कुछ ऐसा हो॥
जहां लोगों की एकता हो
जहां परंपराओं का आधार हो
और सब को एक दूजे पर विश्वास हो॥

मेरे सपनों का भारत
कुछ ऐसा हो॥
जहां जाति का ना भेद हो
नारी पर ना अत्याचार हो
उनको अधिकार दिलाना ही प्रयास हो॥

मेरे सपनों का भारत
कुछ ऐसा हो॥
जहां किसानों का विकास हो
स्वाभिमान से कहे हर कोई की
हम भारत की संतान है॥

— रमीला राजपुरोहित

रमिला राजपुरोहित

रमीला कन्हैयालाल राजपुरोहित बी.ए. छात्रा उम्र-22 गोवा