कविता

अस्तित्व बचाइए

जल,जंगल और जमीन
ये प्रकृति का उपहार है,
पर्यावरण का ही नहीं
हर प्राणी का
जीवन आधार है।
इसका संरक्षण, सम्मान
सबकी जिम्मेदारी है,
इनकी उपेक्षा हम सब पर
पड़ने वाली भारी है।
बाढ़,सूखा, ऊसर,भूस्खलन से
जमीन को बचाना है तो
अधिक से अधिक
वृक्ष लगाना होगा,
जंगलों का दायरा बढ़ाना होगा,
जमीन पर हरियाली का
परचम लहराना होगा।
जल संरक्षण करना ही होगा,
वरना जीवन से भी
दो दो हाथ करना होगा।
जल के बिना कुछ भी न होगा
न ही मानव,न ही पशु,पक्षी, जानवर
न ही वृक्षों का जीवन होगा,
इन सबके बिना फिर
इस संसार का
अस्तित्व भी नहीं होगा।
कंक्रीट के जंगलो में
भला जीवन कहाँ होगा?
अब भी समय है
आगे आइये,
जल,जंगल, जमीन के प्रति
अपनी जिम्मेदारी निभाइये,
इनसे अपनी प्रीत बढ़ाइये,
जीवन का अस्तित्व बचाइए।
★सुधीर श्रीवास्तव

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921