गीत/नवगीत

सौभाग्य जयन्ती…

नहीं है नहीं…,
नहीं है नहीं…!
मेरा सौभाग्य जयन्ती नहीं…,
मेरा सौभाग्य जयन्ती नहीं..!!
पुरखोंं का सम्पति नहीं…!
मैं स्वयं दम्पति नहीं…..!!
फिर क्यों न बन जाऊँ सन्यासी..!
लगाऊँ मन के आश्रम में समाधि !!
नहीं है नहीं… 2
मेरा सौभाग्य जयन्ती नहीं..2
मेरा मन बेईमान नहीं …!
ऐसे भी जीना आसान नहीं !!
साथ में कोई नवयौवन
कोई जवान नहीं !!
फिर क्यों न बन जाऊँ सन्यासी..!
लगाऊँ मन के आश्रम में समाधि !!
नहीं है नहीं.. 2
मेरा सौभाग्य जयन्ती नहीं.. 2
भाई भाई में मेल नहीं..!
गांव में कालेज नहीं…!!
अपने पास नौलेज नहीं..!!
फिर क्यों न बन जाऊँ सन्यासी..!
लगाऊँ मन के आश्रम में समाधि..!!
नहीं है नहीं… 2
मेरा सौभाग्य जयन्ती नहीं… 2
पुरखोंं का सम्पति नहीं…!
मैं स्वयं दम्पति नहीं……!!!!!
— मनोज शाह ‘मानस’ 

मनोज शाह 'मानस'

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