कविता

ये जीवन

एक छोटा सा ये जीवन
क्यूँ पाल रहे हो उलझने
ये वक़्त हमे सिखा रहा
ना पालो इतनी नफ़रतें
छोटी छोटी खुशियों में
ज़रा जी कर देखो यारों
ज़िन्दगी से मिट जाएंगी
तुम्हारी सारी शिकायतें

बातों का बोझ है बहुत
इसे दिल पर न लेना यारों
बस यही तो एक दिल है
इबादत जिसकी मुहब्बतें
किस होड़ में है ज़िन्दगी?
जाने कहाँ गयी फुरसतें
दो वक्त भी अब साथ नहीं
न वो बात ना वो ज़रूरतें

— आशीष शर्मा “अमृत”

आशीष शर्मा 'अमृत'

जयपुर, राजस्थान