सामाजिक

राष्ट्र सर्वोपरि

राष्ट्र से ऊपर कोई भी धर्म या जाति नहीं हैं । राष्ट्र से ऊपर कोई भी धर्म या जाति नहीं हैं । मानव सेवा से भी बढ़कर राष्ट्र की सेवा है।

अगर देश ही नहीं रहेगा, तो हम कहां रह पायेंगे? तब हमारी मानसिकता गुलामी से जकड़ जायेगी ।

इसलिए जरूरी है कि मंदिरों में सुबह की पूजा से पहले, मस्जिद में दिन के प्रथम अजान से पहले और अन्य धर्मों के पूजा-स्थलों में सुबह के प्रार्थना-सत्र से पहले राष्ट्रगान की प्रस्तुति को अनिवार्य कर देना चाहिए।

इस संबंध में माननीय सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए । साथ ही राष्ट्रगान की अनिवार्यता सभी तरह के न्यायालयों में भी कार्यवाही प्रारंभ करने के पूर्व अनिवार्य किया जाना चाहिए।

भारत में ऐसे मन्दिर भी हैं, जहाँ पुरुषों व किशोरों को जाना वर्जित है!
जब सबरीमाला में सभी तरह के सबरियों के प्रवेश की इजाजत मिल गयी, तो क्या माननीय उच्चतम न्यायालय उन मन्दिरों में, जिनमें पुरुषों के प्रवेश की इजाजत नहीं है, को स्वत:संज्ञान लेते हुए उन्हें भी अनुमति देंगे!

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.