लघुकथा

मेरी माँ

माँ रोज की तरह काम जल्दी जल्दी निपटा रही थी ..आज किसी फंक्शन में भी जाना था , पांच वर्षीय बेटा शुभ बडे ही गौर से माँ को यह सब करते देख रहा था …
” माँ जब मैं बडा हो जाऊंगा न ,तो आपको रानी बनाकर रखूंगा “
माँ हंस पडी और बोली “तेरी पत्नी को बुरा लगेगा फिर ?”
“माँ उसे भी रानी बनाकर रखूंगा न “
मेरा बच्चा माँ ने बेटे को दुलार किया और तैयार होने लगी ।
बेटे को इस समय उसकी माँ दुनिया की सबसे सुन्दर महिला लग रही थी ।
” माँ जब मैं बडा हो जाऊंगा न तो आपको बडा सा गले का हार बनवाऊंगा फिर आप और भी सुन्दर लगोगी “
” ओये ….फिर तेरी पत्नी तुझसे लडेगी और मुझसे भी ” माँ ने बेटे की तरफ आंखे तरेरते हुआ कहा ।
” तो उसे दो हार दिलवा दूंगा फिर नही लडेगी “
” और अगर तेरी पत्नी ने तुझे अपनी माँ से ही अलग रहने को कहा तो ??”  दर्द आंखो में उतर आया एक बेटे का अपने बेटे से कहते कहते …।
पति की यह बात सुन पत्नी कभी अपने बच्चे को देखती जो पल्लू पकडकर उसके आंचल में छुपा था तो कभी पति को !
शायद ह्रदय परिवर्तन हो रहा था ।
— रजनी चतुर्वेदी ( बिलगैयां)

रजनी बिलगैयाँ

शिक्षा : पोस्ट ग्रेजुएट कामर्स, गृहणी पति व्यवसायी है, तीन बेटियां एक बेटा, निवास : बीना, जिला सागर