कविता

लौट कर आऊंगा

सुनो ! मैं
फिर से लौट कर आऊंगा,
मिट्टी नहीं हूं
जो उड़ गया।
तूफ़ान हूं
फिर से थरथराता आऊंगा।

सुनो !
जीवन पथ पर
तुमने मुझे कभी
कुछ नहीं समझा
मगर वक्त के पन्नों पर
लिखा है साथ मेरा तेरा
मैं फिर से तुम्हें
अपना बनाने आऊंगा।

सुनो !
बहुत रुलाया है तुमने
मुझे बात-बात पर
पर तुम भी
लौट कर आओगे एक दिन
पलके भीगाकर।

— राजीव डोगरा ‘विमल’

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233