गीत/नवगीत

वसुधा है परिवार 

हम एक नया संसार बनायें।
न ढलें अश्रु नयनों से, स्वप्न पलें।
सुख-दुख में शामिल, बन दीप जलें।
मानव-मन के सब कष्ट मिटाकर,
जीवन में हर पल हंसें-हंसायें।
हम एक नया संसार बनायें।।
हर मानव को भोजन वस्त्र मिले।
काम हाथ को, मुख- मुस्कान खिले।
भेदभाव से ऊपर उठकर हम,
वंचित- शोषित को गले लगायें।
हम एक नया संसार बनायें।।
जियें प्रकृति सह शुभ धरा बचायें।
गिरि, कानन, मरु, सागर, सरितायें।
वसुधा ही है परिवार हमारा,
ध्वज मानवता का हम फहरायें।
हम एक नया संसार बनायें।

— प्रमोद दीक्षित मलय

*प्रमोद दीक्षित 'मलय'

सम्प्रति:- ब्लाॅक संसाधन केन्द्र नरैनी, बांदा में सह-समन्वयक (हिन्दी) पद पर कार्यरत। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलावों, आनन्ददायी शिक्षण एवं नवाचारी मुद्दों पर सतत् लेखन एवं प्रयोग । संस्थापक - ‘शैक्षिक संवाद मंच’ (शिक्षकों का राज्य स्तरीय रचनात्मक स्वैच्छिक मैत्री समूह)। सम्पर्क:- 79/18, शास्त्री नगर, अतर्रा - 210201, जिला - बांदा, उ. प्र.। मोबा. - 9452085234 ईमेल - pramodmalay123@gmail.com