कविता

जन्मदाता

बड़ा अभिमान है
मुझे अपने जन्मदाता पर,
हमें जन्म दिया
पाला पोसा बड़ा किया
पढ़ाया लिखाया संस्कार दिया,
मेरे जीवन को आधार दिया।
तभी तो आज मेरी पहचान है
मेरी पहचान से
मेरे जन्मदाता को
बड़ा अभिमान है।
परंतु वो कहते नहीं
सिर्फ़ मुस्कराते है,
शायद जीने नया पाठ सिखाते हैं,
मेरी खुशियों के सिवा शायद
उन्हें कुछ भी नहीं भाता है,
क्योंकि वे मेरे जन्म दाता हैं।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921