लघुकथा

कहानी उदासी

आज फिर उदास बैठ गया,बैसे वो कब न बैठता ऐसे

इसमे कोई न ई बात ही नही था

उसने अपना स्व भाव बना लिया कुछ दूर अपने यारो की टोली से कटकर अकेले मे

खोय अपने मित्र मे देख कर

यार आज फिर हद है यार कभी हंस भी लिया करो ॥पहेले तो तुम ऐसे तो बिल्कुल न थे॥आज कल क्या हु आ॥अरे रामू बता ऊँ आज कल किसी से बात करने की इच्छा नही होती॥मन करता है ऐसी ही बैठा रहू॥और अपने उदास भर जीवन का पूरा आनंद लू

आभिषेक जैन

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश