कविता

प्रार्थना

हे प्रभु!नमन मेरा स्वीकार करें
इस अज्ञानी का भी उद्धार करें ।
तेरी पूजा आराधना का
कुछ ज्ञान नहीं मुझे,
बस शीश झुकाना आता है
बस इतने से ही स्वीकार करो।
न मैं जानू पूजा आरती
न कर पाऊं वंदन,
बस आता है प्रभु मुझको
चरणों में तेरे सिर झुका कर
करता हूं अभिनंदन ।
स्वीकार करो हे प्रभु मेरा
शत शत शत वंदन ,
शीश झुका चरणों में तेरे
शत-शत करता रहूं अभिनंदन।
बस इतना ही आता मुझको
शेष नहीं है ज्ञान,
बस इतनी सी कृपा करो प्रभु
नित करता रहूँ नमन वंदन।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921