पुस्तक समीक्षा

जाने कितनी दफा ?

जाने कितनी दफा ही द्वार खुले होंगे, शायद हरिवंश राय बच्चन जी ने कहा–

“याद मुझे है वह दिन पहले,
जिसदिन तुझको प्यार किया;
तेरा स्वागत करने को जब
खोल हृदय का द्वार दिया !”

….तो यह भी कहा–

“मन-मन्दिर में तुझे बिठाकर
तेरा जब सत्कार किया;
झुक-झुक तेरे चरणों को जब
चुम्बन बारम्बार किया !”

….तो यह भी–

“पर जब उनकी वह प्रतिभा,
नयनों से देखी जाकर;
तब छिपा लिया अंचल में,
उपहार हार सकुचाकर !”

तो फिर के लेखनबद्ध यह–

“घर से यह सोच उठी,
उपहार उन्हें मैं दूंगी;
करके प्रसन्न मन उनका,
इनकी शुभाशीष लूँगी !”

सीत जी ने यह प्रसंगश: उड़ेली है कि दो जिम्मेदार लोग आपस में प्यार नहीं करते हैं, अपितु सिर्फ़ जिम्मेदारी निभाते हैं ! अंत में मेरी राय है कि संकीर्ण, अतार्किक और अवैज्ञानिक लोगों से मित्रता मत कीजिये, वे कमीने होते हैं और आपको पटकने के मौके तलाशते हैं !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.