गीत/नवगीत

बाधाओं को मीत बना ले

उपवन की शोभा बढ़ती जब,
खिलते पाटल और लिली हैं।
स्नेह-भाव पाकर अपनों का,
अधरों पर मुस्कान खिली है।
प्रेम लुटाया करते हैं जो,
भेदभाव से ऊपर उठकर।
गिरि-शीश झुकाया करते वे,
जो बढते जाते गिर-गिरकर।
बाधाओं को मीत बना ले,
वह साधक है, बहुत बली है।
स्नेह-भाव पाकर अपनों का,
अधरों पर मुस्कान खिली है।।
कल से सीख-समझ लेते हैं,
बीत गया जो न उस पर रोते।
वर्तमान में श्रम सीकर से,
स्वर्णिम कल के सपने बोते।
सदा सुवासित श्रम श्वेद से,
खलिहान, खेत, द्वार, गली है।
स्नेह भाव पाकर अपनों का,
अधरों पर मुस्कान खिली है।।
— प्रमोद दीक्षित मलय

*प्रमोद दीक्षित 'मलय'

सम्प्रति:- ब्लाॅक संसाधन केन्द्र नरैनी, बांदा में सह-समन्वयक (हिन्दी) पद पर कार्यरत। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलावों, आनन्ददायी शिक्षण एवं नवाचारी मुद्दों पर सतत् लेखन एवं प्रयोग । संस्थापक - ‘शैक्षिक संवाद मंच’ (शिक्षकों का राज्य स्तरीय रचनात्मक स्वैच्छिक मैत्री समूह)। सम्पर्क:- 79/18, शास्त्री नगर, अतर्रा - 210201, जिला - बांदा, उ. प्र.। मोबा. - 9452085234 ईमेल - pramodmalay123@gmail.com