विविध

पीआईएल, आरटीआई और….

क्या ‘वकील’ उस्तरे होते हैं, जिनकी एक धार ‘वादी’ को मुड़ने के लिए होती है, तो दूसरी धार ‘प्रतिवादी’ को ? ….तो फिर सेवाभाव कहाँ गयी ?

एक केस है, भाई विदुर ! मैं फीस के लिए पैसे नहीं दे पाऊँगा, हाईकोर्ट का केस है, अगर सम्भव है तो कहना, भाई ! कब मिलूँ, आपसे ?

PIL नहीं है, PSC के विरुद्ध है ! मेरे जो आय है, वो खा-पीकर, पत्र-पत्रिकाएँ खरीदकर और जनहित के लिए अबतक 22,000 से अधिक RTI लगाने से बचत शून्य हो जाते हैं, इसलिए फीस नहीं दे पाऊँगा, भाई ! कहिये, कब आऊँ ?

तो क्या अब ?
खाना छोड़ दूं क्या ?
पढ़ना छोड़ दूं क्या ?
सेवा छोड़ दूं क्या ?
अज़ीब परामर्श देते हैं, भाई !
मानसिक बीमारी का सुझाव दे रहे हैं क्या ?

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.