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निजी रेल !

अब यह जरूरी है, भारतीय रेलवे का निजीकरण हो जाय, अन्यथा कटिहार-तेजनारायणपुर बीच बिना टिकट यात्री व TTE साथ-साथ ताश खेलते रहेंगे !

रेलवे भी एक संगठन है, उन्हें भी लाभ चाहिए और राजस्व उगाही के लिए एकाधिपत्य जरूरी है ! आपकी जानकारी में बता दूं ! मेट्रो के टिकट को ‘टोकन’ कहते हैं ! दूसरी बात भारत में कितने मेट्रो संचालित हैं, सिर्फ़ उन्हीं के नाम बता दो ?

अगर मुट्ठीभर है, तो कल्पना करो कि जिस माँ-बाप के सीमित बच्चे हैं, वे सुविधायुक्त होते हैं या अधिक बच्चेवाले परिवार ! उस पास से दरवाजे से बाहर आते हो क्या ?

रही बात मैं गरीब आदमी हूँ, इस बैंक में मेरा खाता नहीं है, लेकिन ईमानदार हूँ, तुम्हारे तरह मालदार नहीं ! क्या होगा Rs 100 देकर यात्रा करेंगे, क्यों ? करप्शन तो मिटेगा ! अन्यथा, बैलगाड़ी युग में आएंगे और क्या ? चलो, आगे की आगे सुधि लेते हैं, भाई !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.