गीतिका/ग़ज़ल

तुम दीवानो

सही गलत अब तो पहचानो,
किसको कब अपना तुम मानो।

जीवन के इस आसमान में ,
अपनी ख़ुशी पतंग तुम तानो।

हार हार के थके नहीं क्या ,
चलो सफलता की तुम ठानो।

मीत तुम्हारे होंगे अनगिन ,
कौन शत्रु है यह तुम जानो।

गलत सही बातों को भाई ,
सच की छलनी में तुम छानो।

जग को शक नजरों से देखो ,
जब भी देखो तुम दीवानो।
–महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

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