गीत/नवगीत

नारी को अधिकार मिले

जब से नारी को नारी का, सम्बल मिलना शुरु हुआ।
वसुधा से उठकर नारी ने, हाथों से आकाश छुआ।।
पग – बाधा बनकर नारी ने, नारी को अक्सर रोका।
नारी ने इतिहास रचाया, जब भी उसे मिला मौका।।

आँख खोलकर देख पाँव अंगद- सा जमां जमीं पर है।
और हाथ में सीढ़ी अथवा, सीढ़ी ही दोनों कर है।।
धरती से अम्बर तक नारी, अथवा जग नारीमय है।
अवध नारियों से ही उन्नत,नर – नारी है, किसलय है।।

इसीलिए अब से नारी को, नारी का अधिकार मिले।
पतझड़ से व्याकुल उपवन को, पावस का उपहार मिले।।
मानवता के लिए स्वयं का, अहंकार अर्पण कर दें।
पौरुष के शुभ नवाचार को, मनुज हेतु दर्पण कर दें।।

— डॉ. अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 Awadhesh.gvil@gmail.com शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन