लघुकथा

लघु कथा- अंतिम इच्छा

पूजा ….पूजा…पूजा!
सासु मां ने आवाज़ लगाई, पूजा भाग कर सासु मां के पास आकर घबरा कर बोली… ममी जी क्या हुआ??
सासु मां रोने लगी, “पूजा तुम्हारे ससुर जी नहीं रहे”!
उनकी हालत तो नाज़ुक थी, डाक्टर ने भी कहा था कि कोई भरोसा नहीं है, भगवान ने चाहा तो कुछ साल भी निकाल सकते हैं नहीं तो कुछ दिन भी नहीं।
पूजा ने सासु मां को गले लगाकर चुप कराते हुए कहा… ममी जी सब्र रखिए।
खुद को संभालते हुए सासु मां ने पूजा के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा …पूजा , आज ये गए हैं कल मेरी भी बारी आएगी।
बेटा तुमने हमें बेटे के गम में संभाला और परिस्थितियों का मुकाबला भी किया तुम्हारी उम्र बहुत कम है और ज़िन्दगी बहुत बड़ी। छोटे सजल के भविष्य के लिए ही तुम दूसरी शादी कर लो। पूजा तुमने हमें अपने मम्मी पापा से भी ज्यादा मान सम्मान दिया है। तुम चाहती तो आज से दो साल पहले ही जब हमारे बेटे की मौत हुई थी तुम हमें छोड़ कर कब की चली गई होती। तुमने अपने बेटी होने का फर्ज निभाया और मेरे और ससुर जी के कहने पर भी दूसरी शादी करके हमें छोड़ कर नहीं गई। आज तुम्हें अपने ससुर जी की अंतिम इच्छा पूरी करनी ही होगी , वो यही कह कर गए हैं कि पूजा को बोलना अपनी ज़िंदगी संवार ले। पूजा सासु मां को हैरानी से देखकर लिपट कर और रोने लगी।

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |