कवितापद्य साहित्य

शक्ति रूप

नवजीवन का सृजन वो करती,
स्नेह से सबका जीवन भरती;
परन्तु उसके लिए ही क्यों
घनघोर मेघ की गर्जना थी,
ये कैसी विकट मन्त्रणा थी!

‘या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण’
मंत्र बोल पूजते उसको,
पुष्पांजलि व अर्क देते उसको;
आज उस माँ के मन मे कंपना थी,
एक विकट व भीषण जंत्रणा थी!

अब शक्ति रूप को जगाओ माँ;
इन असुरों का विनाश करो,
एक हुँकार भर, इनको मिटाओ माँ;
आवश्यकता है, ज्वलंत तर्जना की,
अन्याय के विरोध में अभिव्यंजना की!

— रूना लखनवी

रूना लखनवी

नाम- रूना पाठक उप्पल (रूना लखनवी) पता- दिल्ली, भारत मैंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातकोत्तर किया है। वर्तमान में, मैं एक फार्मास्युटिकल कम्पनी में वरिष्ठ प्रबंधक की तरह कार्यरत हूँ। साहित्यिक उपलब्धि :- वूमेन एकस्प्रेस, दक्षिण समाचार प्रतिष्ठा, आज समाचार पत्र , कोलफील्ड मिरर , अमर उजाला काव्य (ऑनलाइन) , पंजाब केसरी (ऑनलाइन) , मॉम्सप्रेस्सो में कविताएँ, लघु कथा कहानी, स्वतंत्र अभिव्यक्ति की रचनाएँ प्रकाशित। सम्पर्क https://www.facebook.com/Runa-Lakhnavi-108067387683685 सम्मान: 1. मॉम्सप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान; 2. राष्ट्रीय कवयित्री मंच- नारी शक्ति सम्मान 2020 3. साहित्य संगम संस्थान- सम्मान 4. अभिनव साहित्यिक मंच - सम्मान