कविता

सम्मान के लिए

बेटियों अब समय आ गया है
अपने को जानो
अपनी ताकत को पहचानो।
अपने को कोमल,कमजोर ,अबला
कब तक मानोगी?
अब वो समय नहीं रहा
कि जब तुम्हें पूजने के साथ
सुरक्षा/सम्मान भी देते थे,
अब तो लोग कन्या पूजन की
औपचारिकता भर निभाते हैं,
तुम्हें जन्म लेने से पहले ही
माँ के गर्भ में ही
मारने से भी नहीं घबराते हैं।
दहेज हत्या, बलात्कार,उत्पीड़न से
अपनी मर्दानगी दिखाते हैं।
अब तुम्हें भी बदलना होगा
महागौरी, सरस्वती बनी रहो मगर
अब तो चण्डी,काली, और
दुर्गा, दुष्टनाशिनी बनना होगा,
अपने सम्मान, स्वाभिमान के लिए
अब तुम्हें खुद आगे आना होगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921