कविता

परिंदे

परिंदे
उन्मुक्त उड़ते गगन में
निश्छल पवित्र भाव लिए
द्वेष, ईर्ष्या, घृणा, नफरत से दूर
जाति,धर्म, मजहब से मुक्त
गिरगिट की तरह रंग नहीं बदलते
ईश्वर, अल्लाह में भेद नहीं करते,
साम्प्रदायिकता के बीज नहीं बोते।
खुद जियो और जीने दो का
सिद्धांत अपनाते,
जमाखोरी, अनाचार, अत्याचार, भ्रष्टाचार से दूर निश्चिंत भाव से
खुशहाली भरा जीवन जीते,
अपनी मर्यादा में ही
बहुत खुश रहते।
हम सबको सदा ही प्रेरणा देने का
सतत उपक्रम करते,
जीवन मूल्यों की परिभाषा बताते
अपनी जिम्मेदारी निभाते।
सदा खुशहाल रहते।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921