कवितापद्य साहित्य

हमारा परिवार

सभी सदस्यों में प्रेम व स्नेह अपार;
कुछ ऐसा है हमारा परिवार!
बड़ो का आशीष और छोटों का प्यार;
कुछ ऐसा है हमारा परिवार!
साथ मिलकर मनाएँ, हम सारे त्योहार;
कुछ ऐसा है हमारा परिवार!
रूठना- मनाना तो है रिश्तों का आधार;
कुछ ऐसा है हमारा परिवार!
मुस्कुराते हुए करते, कठिनाईयों को पार;
कुछ ऐसा है हमारा परिवार!
कैसे करें ईश्वर का धन्यवाद व आभार;
कि दिया इतना प्यारा और न्यारा परिवार!
इस कविता का मात्र, ये है सार;
कि सबसे अनमोल है, हम सबका परिवार!

— रूना लखनवी

रूना लखनवी

नाम- रूना पाठक उप्पल (रूना लखनवी) पता- दिल्ली, भारत मैंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातकोत्तर किया है। वर्तमान में, मैं एक फार्मास्युटिकल कम्पनी में वरिष्ठ प्रबंधक की तरह कार्यरत हूँ। साहित्यिक उपलब्धि :- वूमेन एकस्प्रेस, दक्षिण समाचार प्रतिष्ठा, आज समाचार पत्र , कोलफील्ड मिरर , अमर उजाला काव्य (ऑनलाइन) , पंजाब केसरी (ऑनलाइन) , मॉम्सप्रेस्सो में कविताएँ, लघु कथा कहानी, स्वतंत्र अभिव्यक्ति की रचनाएँ प्रकाशित। सम्पर्क https://www.facebook.com/Runa-Lakhnavi-108067387683685 सम्मान: 1. मॉम्सप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान; 2. राष्ट्रीय कवयित्री मंच- नारी शक्ति सम्मान 2020 3. साहित्य संगम संस्थान- सम्मान 4. अभिनव साहित्यिक मंच - सम्मान