कविता

भारतीय सैनिक

माँ! मैं सरहद पर
अभी जा रहा हूँ,
लौट के तेरी आँखों का
इलाज कराता हूँ।
दुश्मन पगलाया है,
हमारी सरहद में घुस आया है,
उसे सबक सिखाना जरूरी है,
उसका दूषित मानसिकता का
इलाज अब जरूरी है।
बस माँ तू चिंता मत कर
तेरा लाल यूँ ही नहीं आयेगा,
एक एक दुश्मन की लाश गिरायेगा।
मारूंगा या मरूँगा
पर पीठ नहीं दिखाऊंगा,
दुश्मन की छाती पर
तिरंगा फहराऊँगा।
माँ मैं लौटकर आऊँगा
तेरी आँखों का इलाज कराऊंगा,
माँ तू चिंता मतकर
मर भी गया तो
तिरंगे में लिपट तेरे पास आऊँगा,
अपनी आँखें तूझे दे जाऊँगा,
तेरी आँखो की रोशनी
जरूर लौटाऊंगा।
माँ मैं लौटकर आऊँगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921