लघुकथा

मिट्टी की महक

दीपावली का दीया खरीदने आकाश बाजार में जगह जगह घुम रहा था । पर यादों में बसी मिट्टी की महक और कच्चा दीया पूरे बाजार में नहीं मिला ।
ओह अम्मा कितने प्यार से गीली मिट्टी की गोलियाँ बनाकर दीया बनाती थी । साथ में हर साल मिट्टी से आकाश खूब खेलता था ।
तीन चार दिन तो मिट्टी की तलाश में हर खेत खलिहान से मिट्टी लाता तब जाकर माँ कहती वाह मेरे लल्ला तूझे माटी की पहचान है इसका दीया बहुत बढ़िया बनेगा ।
आकाश शहर से दूर चिकनी मिट्टी की तलाश में गाँव की ओर बढ़ गया उसे ध्यान ही नहीं रहा । अचानक सड़क किनारे खेतों में घुस कर मिट्टी तलाशने लगा , तभी एक किसान दूर से ही चिल्ला पड़ा “ अरे ! ओ शहरी बाबू मेरे खेतों में क्या कर रहे हो ?
घबराहट में वह धान की बालियों पर गिर पड़ा एक मीठा सा अहसास जैसे बाबा धान की बालियों से सहला कर जगा रहे हों ।
तीन सालों से बढ़िया नौकरी की तलाश में आकाश भटक रहा था ।
वह बिना दीया खरीदे घर लौट आया ,और अपना सामान पैक कर मकान मालिक को कमरे की चाभी सौंप कर गाँव की ओर चल पड़ा ।
घर पहुँच कर पीछे से माँ की आँखों पर अपने हाथ रख दिये ।
“अरे लल्ला हाथ हटाओ और दीया बनाने में मदद करो । अच्छा है तू लौट आया खेतों की नमी सूख रही है और तेरे बाबा के आँखों में समा रही है ।”
सच में सारी नमी तो अम्मा और बाबा की आँखों में दिखाई दे रही थी । अब अपने वतन और चमन दोनों की महक का अहसास हर बच्चों में शिक्षा के माध्यम से जगाऊँगा ।

आरती रॉय .दरभंगा
बिहार

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com