लघुकथा

जया की सेल्फ स्टडी

जया कुछ परेशान थी। स्कूल ट्यूशन कोचिंग सब बंद हैं। अपने मार्गदर्शक दिलीप अंकल से समस्या का समाधान फोन पर पूछा। उनके बतलाए समाधान का पालन कर सेल्फ स्टडी प्रारंभ की। एक लेसन पढ़ कर लिखने का प्रयास करती। नहीं लिख पाती। दुबारा पूरे ध्यान से पढ़ कर पुनः पढ़े हुए लिखने कि कोशिश करती। इस बार लिख लेती। कभी विज्ञान के लेसन को तीन अथवा चार बार भी पढ़ना होता। लेकिन फिर सफलता प्राप्त कर लेती। अपने लिखे हुए लेसन के सारांश से उसे खुशी मिलती कि परीक्षा के लिए नोट्स भी बन गए एवम् रटने की आवश्यकता भी नहीं पड़ी। अंकल ने उसे वॉट्सएप पर सफलता पाने के लिए फार्मूले का एक चित्र भेजा था। उसमें भी यही संदेश था कि प्रयास तब तक करते रहना जब तक सफलता प्राप्त नहीं हो।  उसने इस चित्र का प्रिंट निकलवाकर अपनी स्टडी टेबल के ग्लास के नीचे रखा हुआ है ताकि सफलता का फार्मूला वह नहीं भूले। बोर्ड की परीक्षा के लिए सिलेबस कम कर दिया गया है। पर जया को तो अगले वर्ष इंजिनियरिंग एवम् मेडिकल दोनों की ही प्रतियोगिता परीक्षा देनी है इसलिए मार्गदर्शक अंकल की सलाह के अनुसार जया तो कक्षा 11 एवम् 12 की NCERT की पुरानी वाली पुस्तकों के पूरे ही चैप्टर्स की सेल्फ स्टडी कर रही  है क्योंकि इन परीक्षाओं में तो प्रश्न पूरे कोर्स से ही आएंगे। सेल्फ स्टडी करने में प्रारंभ में समय लग रहा था । पर अब अभ्यास निरंतर करते हुए समय भी कम लग रहा है एवम् अब जया स्कूल कोचिंग ट्यूशन पर निर्भर नहीं है । हालांकि जया ऑनलाइन क्लास भी अटेंड कर रही है पर बाकी का समय वह सेल्फ स्टडी में ही देकर अपनी आत्मनिर्भरता बढ़ा रही एवम् संतुष्ट है। परीक्षा स्थगित होने को जया सकारात्मक लेती है कि उसे रिवीजन करने के लिए बोनस समय मिल गया। जया टेंशन तनाव नहीं लेती। असमंजस की स्थिति में हेल्पलाइन पर अपने अंकल से बात कर लेती है।

पढ़ाई के साथ पूरे समय घर में ही रहने के कारण जया अपनी मम्मी से खाना बनाना भी सीख रही है। दादाजी की आंखें कमजोर है । जया उन्हें अखबार की हेडलाइन सुना देती है। दादाजी को टीवी देख ने में परेशानी आती है। जया ने अपनी गुल्लक से पैसे निकालकर उनके जन्मदिन पर रेडियो उपहार स्वरूप दिया है ताकि दादाजी समाचार भी सुन सकें एवम् अपने पुराने ज़माने के गाने भी विविध भारती स्टेशन से सुन सकें। कुछ दिन पहले उसकी मम्मी को बुखार आ गया था तो जया ने सबको आलू की सब्जी के साथ परांठे सेक कर खिलाए थे एवम् मम्मी के लिए मूंग की दाल की खिचड़ी भी बनाई थी। जया का भाई कक्षा 8 में है। जया उसे भी समझाती रहती है कि पढ़ाई कर लेे। अब सरकार ने नियम बदल दिए है। परीक्षा में नंबर कम आये तो तुम कक्षा 9 में नहीं जा पाओगे। एक साल खराब हो जाएगा। भाई अजय भी अब अपनी जया दीदी का कहना मानकर सुधार कर रहा है अपनी आदतों में। इस प्रकार जया दादाजी मम्मी पापा भाई सभी का पूरा ध्यान भी रख रही है। पढ़ते समय जया मोबाइल स्विच ऑफ रखती है एवम् जया ने सोशल साइट्स डिएक्टिवेट कर दिया है मार्गदर्शक दिलीप अंकल के प्रति जया कृतज्ञ है एवं सेल्फ स्टडी से पढ़ाई करने के बताए उनके तरीके का पूरा श्रेय अंकल को ही देती है एवम् अपनी सहेलियों एवम् रिश्ते के भाई बहनों को भी सेल्फ स्टडी का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करती रहती है। जया को पूरा भरोसा एवम् विश्वास है कि सेल्फ स्टडी से उसके लक्ष्य अवश्य ही पूर्ण होंगे। इति।

— दिलीप भाटिया

*दिलीप भाटिया

जन्म 26 दिसम्बर 1947 इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और डिग्री, 38 वर्ष परमाणु ऊर्जा विभाग में सेवा, अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक अधिकारी