क्षणिका

एक अदद प्रेमी की तलाश है

भ्रूण अगर वीर्य से बनते हैं,
तो क्या मुर्गियों के अंडे में भी
भ्रूण होते हैं ?
और तब क्या
मुर्गियों को भी
माहवारी होती होंगी ?
••••••
एक किशोरी अगर
और आईब्रो बनानी
शुरू कर दी है
और नियमित पार्लर
जाने लगी है,
तो समझिये
कि उन्हें
अदद ‘प्रेमी’ की तलाश है !
••••••
सुंदरता को रंग से
मापना क्यों ?
साँवली को तो
सलोनी कही जाती है !
और सलोनी माने
मोहकता व सुंदरता ही तो है !
••••••
सुना है,
‘खून’ और ‘दूध’ के बनने के
प्रक्रम और स्रोत एक समान है,
तो खून ‘मांसाहार’
और दूध ‘शाकाहार’
कैसे हो गई ?

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.

One thought on “एक अदद प्रेमी की तलाश है

  • गीतिका पटेल "गीत"

    बेहद सुन्दर प्रस्तुति।
    1. माहवारी, कोई अभिशाप नहीं अपितु एक वरदान है स्त्री की। किन्तु कुछ लोगों की निम्न मानसिकता ने इसपर खुलकर बात करने की आज़ादी भी नहीं देते। जिसके फलस्वरूप आज अनेक महिलाएं न जाने कितनी बीमारियों से ग्रसित होने के बावजूद हिचकिचाहट में खुलकर अपनी बात रख भी नहीं पाती। फ़िर अंत में उनकी स्थिति वम्भीर रूप ले लेती है।

    2. अदद प्रेम की तलाश तो हर किसी को रहती है। हर व्यक्ति उम्र भर उस प्रेम की तलाश में भटकता रह जाता है। किन्तु नसीब नहीं होता।

    3. मनुष्य की सुंदरता वह नहीं होती जो बाह्य रूप में दर्शित होती है। अपितु वास्तविक सुंदरता मनुष्य के अन्तर्मन में निहित होती है। उसके गुण ही सुंदरता की पहचान होते हैं।

    4. मांसाहारी अथवा शाकाहारी मनुष्य अपनी सोच के कारण दर्शित होता है। और भोजनों को अपनी इच्छाओं के अनुसार वर्गीकृत करता है। और हर सम्भव प्रयास करता है कि उसका पक्ष मज़बूत हो।

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