गीत/नवगीत

प्रकृति हमें सिखाती है।

परिवर्तन के साथ खुद को ढालना,
जीवन में ना कभी हार मानना,
शांति, संघर्ष,उम्मीद, उदारता,
गरिमा का पाठ पढ़ाती है,
जीवन के प्रारंभ से अंत तक,
प्रकृति हमें सिखाती है।

आए तूफान तो पेड़ झुक जाते,
जो ना झुकते हैं वो उखड़ जाते ,
वो अल्प वक़्त गुजरने के बाद,
नई सुबह फिर आती है,
मुश्किल वक्त में संयम रखना,
प्रकृति हमें सिखाती है।

पतझड़ के मौसम के बाद,
बसंत में बहारें आती हैं,
भूत को भूल वर्तमान में,
जीवन जीना बताती हैं,
निरंतर आगे बढ़ते रहना,
प्रकृति हमें सिखाती है।

भरती उड़ान हिम्मत रखकर,
चूमती गगन स्वतंत्र रहकर,
झुंड में उड़ते पंछी भी,
ना आपस में टकराते हैं,

आपस में मिलजुल कर रहना,
प्रकृति हमें सिखाती है।

अपने स्वदेश से प्रेम करना,
मछली हमें सिखाती है,
वृक्ष की जड़ें इंसान को,
जमीं से जुड़े रहना बताती है

बिना स्वार्थ के प्रेम करना,
प्रकृति हमें सिखाती है।

सीना तान खड़ा पहाड़,
नदियां ,अविरल बहती जाती हैं,
सहनशील, धैर्य रखती धारा,
वर्षा प्यास बुझाती है,

निष्काम भाव से करना सेवा,
प्रकृति हमें सिखाती है।

— स्वाति सौरभ

स्वाति सौरभ

गणित शिक्षिका पता - आरा नगर, भोजपुर, बिहार