कविता

रूठा दोस्त

अहंकार मत कर ऐ मेरे दोस्त,
दो पल का है जीवन हमारा।
आओ साथ मिलकर जी लें,
मौसम है बहुत प्यारा- प्यारा।।

जब याद आती है तेरी मुझे,
नैनों से अश्रुधारा बहती है।
खो सी गई है जिंदगी तेरे बिन,
ऐ दोस्त बस तेरी याद रहती है।।

अहंकार ने हरा तेरा विवेक,
क्रोध में दोस्ती तोड़ गये हो।
एक दूजे की पहचान थे हम,
आज अजनबी बन गये हो।।

ऐ मेरे दोस्त वापस आजा,
तेरी ही राहें तकता रहता हूँ।
किसकी नज़र लगी दोस्ती को,
बस यही बातें करता रहता हूँ।।

— नवनीत शुक्ल (शिक्षक)

नवनीत शुक्ल

शिक्षक/सम्पादक रायबरेली-उत्तर प्रदेश मो.न.- 9451231908 शिक्षक