लघुकथा

सच का सामना

 

” ये क्या दिखा रहे हैं आप अपने चैनल पर ? आपने तो अपने एग्जिट पोल में हमें कहीं का नहीं छोड़ा ! पूरी बहुमत से विरोधियों की सरकार भी बनवा दी ? “
” मंत्री जी ! चुनाव प्रचार के दौरान हमने पूरी निष्ठा से आपकी रैलियों का जीवंत प्रसारण किया । मैदान में खाली पड़ी कुर्सियों की तरफ एक बार भी कैमरा नहीं चलाया । आपकी पूरी बहुमत से सरकार बनने का झूठा सर्वे भी दिखाया ।  आपकी योजनाओं का जोर शोर से प्रचार प्रसार किया । विरोधियों का समर्थन करनेवाली भीड़ का फुटेज काटकर आपके समर्थकों को ही जनता के रूप में पेश कर लोगों को यह बताने का पूरा प्रयास किया गया कि प्रदेश में आपकी ही लहर चल रही है लेकिन सब बेकार …!
 अब जबकि चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं और नतीजे बस आने ही वाले हैं, हमें भी तो सच का सामना करना ही पड़ेगा न ? “

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।