कहानी

बदलती तसवीर

प्रीति – मम्मी मेरी चोटी  कर दो मुझे स्कूल मे देर हो रही है।
मम्मी- हाँ  जल्दी आओ चोटी कर दूँ ।
प्रीति- देखो मैने होमवर्क कर लिया ।
मम्मी- अरे मुझे कहाँ पढ़ना आता है? शाम को पापा को दिखाना। प्रीति- पापा देखो मैने होमवर्क कर लिया।
पापा- अरे वाह !बेटा बहुत बड़िया बस थोडी राइटिंग सुधार लो ।
प्रीति- ठीक है पापा मैं कोशिश करूंगी।
टीचर भी यही कहती है ।
दादी- मुँह बनाती हुई अरे इसकी जगह बेटा होता तो वंश आगे बड़ाता। ये पढ़ भी लेगी तो रहेगी तो सुसराल मे।
पापा- माँ कैसी बाते करती हो ?मेरे लिए तो यही मेरा बेटा है देखना मैं इसे डॉक्टर बनाऊंगा।
बेटी बडी हो जाती है।प्रीति- दौड़ती हुई आती है
पापा मम्मी देखो! मैं फ़र्स्ट क्लास पास हुई हूँ । सभी खुश होते है पर दादी फिर मुहँ बनाती है।
पापा ने अपनी बेटी को बायो साइंस विषय दिलाया ।
बेटी ने 11 वी में 68  प्रतिशत अंक प्राप्त किये ।सभी खुश थे अब तो पापा को भी यकीं हो गया था कि उनकी बेटी डॉक्टर बनेगी लेकिन भगवान की मर्जी और किस्मत हमेशा कुछ और सोच के रखते है।
विश्वकर्मा जी ने परेशान होकर अपनी नौकरी छोड़ दी घर मे अचानक इतना टेंशन होने के बावजूद प्रीति बहुत मेहनत कर रही थी। ताकी पापा का सपना पूरा  कर सकूँ पर परीक्षा के एक महीना पहले ही पेपर के प्रारुप बदल गया किस तरीके से पेपर आयेंगे इतना रिवीजन और एक एक पेपर होने से प्रीति के सारे पेपर बिगड़ते जा रहे थे पर वो अपने पापा को दुखी नही करना चाहती थी और बस मन ही मन डरती रहती थी आखिर में रिजल्ट आया तो सब बेसब्री से इंतजार कर रहे थे लेकिन पापा को कही से पता चल गया की प्रीति सेकंड डिविजन बना पापा बहुत नाराज हो जाते है और प्रीति  के लाख समझाने पर भी उसे पढ़ाने के लिए मना कर देते हैं और जब प्रीति  को पता चलता है कि वे सब गाँव जाने वाले हैं क्युंकि  अब पापा की नौकरी नहीं  है वे गाँव मे अपनी खेती संभालेंगे तो प्रीति के सारे सपने टूट जाते हैं उसे बहुत रोना आता है
लेकिन जब प्रीति के एक रिश्तेदार प्रीति के पापा को समझाते हैं तो वो प्रीति को प्रायवेट बी ए के फॉर्म भरवा देते है प्रीति को इस विषय के बारे मे कुछ भी पता नहीं था फिर भी वो बुझे मन से मान जाती है
इधर दादी फिर मुहँ बनाकर कहती है की मैने तो पहले ही कहा था इतने पैसे इसकी शादी के लिये जमा कर्ता तो आज इतने परेशान नहीं होते।
प्रीति- दादी इसमे मेरी क्या गलती है मैने बहुत पढ़ाई की लेकिन मेरे पेपर बहुत कठिन आये और मुझे पता भी नही था मैं रिवीजन भी नही कर पाऊँगी डर के मारे भूल जाती थी और कोर्स भी कितना था लेकिन मै  फ़ेल तो नहीं हुई थी ।
पापा वहाँ  से चले जाते है
फिर प्रीति के पापा उसे शिक्षक के फॉर्म भरवाने की कोशिश करते हैं लेकिन प्रीति  की उम्र 18 वर्ष से कम पड़ जाती है इस कारण से प्रीति की नौकरी नहीं लग पाती है लेकिन इसी बीच प्रीति का रिश्ता तय हो जाता है गाँव के हिसाब तो 16  साल मे ही शादी करना सही होता है लेकिन विश्वकर्मा जी इन परम्पराओं मे विश्वास नहीं करते थे ।
लेकिन गाँव के लोग उन्हे समझाते है की
अगर इसे डॉक्टर बना भी दिया तो क्या डॉक्टर लड़का मिलेगा? इसके लिये ये तो कन्वारी ही रह जायेगी और आपकी तो नौकरी नहीं हैं अब इसकी शादी भी कैसे करोगे बिना पैसे के
प्रीति के पापा का दिमाग खराब हो जाता है और वो अपनी बेटी की शादी तय कर देते हैं
प्रीति मम्मी के गले लग कर बहुत रोती है और कहती है- मम्मी मैं तो डॉक्टर बनना चाहती थी।  पापा का  सपना तोड़ दिया मैने लेकिन फिर भी मैं अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हूँ।   मम्मी मेरी शादी मत करो ।
पापा आते हैं और अपनी बेटी को समझाते है।
पापा- बेटा मैं जानता हूँ कि तू मेरा सपना पूरा करना चाहती थी पर शायद किस्मत और मेरी मजबूरी से वो पूरा नहीं हुआ ।लेकिन तुझे मेरी खुशी के लिये शादी करनी पड़ेगी आज नहीं तो कल शादी होना ही थी और तू डॉक्टर बन जाएगी ,तो डॉक्टर लड़का नही मिल पायेगा लोग कहेंगे कि मैने जानबूझकर तेरी शादी नहीं होने दी ताकि मैं तेरे पैसे से ही अपना घर चलाऊँगा एसा मैं नही चाहता क्युकिं तू जानती है कि मैं कितना स्वाभिमानी हूँ ।
प्रीति- ठीक है पापा मैं आपकी खुशी के लिए शादी के लिये तैयार हूँ ।
दोनो गले लगकर रोते हैं।
प्रीति की शादी हो जाती है ।
अपने ससुराल मे प्रीति का पहला दिन है
प्रीति के ससुर बहू  का बहुत ध्यान रखते है और  उससे कहते हैं ।
ससुर- बेटा तुझे जितना पढ़ना है ,उतना आगे तुम  पढ़ सकती हो  ।
प्रीति- हाँ बाबूजी मैं आगे भी अपनी पढ़ाई करना चाहती हूँ।
सासूजी- नहीं अब यहाँ सबकी जिम्मेदारी तुम्हे निभानी पड़ेगी ।
प्रीति- हाँ  मम्मीजी मैं सबकी सेवा करूंगी और जितना समय मिलेगा मैं उसमे पढ़ लूंगी ।
सासू- देखती हूँ यहाँ इतना काम करके तू कैसे पढ़ लेगी मायके मे तो कोई काम नहीं। करना पड़ा इसलिये पढ़ लेती थी, अब यहां पता चलेगा।
प्रीति- आप चिंता मत कीजिये मैं कोशिश करूँगी मम्मीजी।
ससुर- शाबास !बेटा बस अपनी सासूजी से बहस कभी मत करना
प्रीति – ठीक है बाबूजी।
प्रीति दिन भर सबकी सेवा करती उसकी सास उसे पढ़ने का समय भी नही मिलने देती थी
उसे दिन भर काम मे लगा रखती थी
लेकिन प्रीति जब रात मे समय मिलता तो, किताब लेकर बैठती ही थी उसके पति चिल्ला कर उससे किताब छुड़ा लेता था ।
प्रीति- अपने पति के सो जाने के बाद कम लाईट मे पढ़ती थी क्युंकि उसे परीक्षा देने का बहुत शौक था ।इन्ही दिनो प्रीति एक बेटी की माँ भी बन गई ।
डॉक्टर- बधाई हो! लक्ष्मी आई है।
सासु बहुत बुरा मुहँ  बनाती है
ससुर- अरे वाह! हमारे घर 50 साल बाद लक्ष्मी आई है, प्रीति की एक ही नंद थी इसलिये शायद बाबूजी को बहुत खुशी हुई।
बाबूजी- बेटा हमे बहुत खुशी है हम बेटी को अच्छा पढ़ायेंगे ।
ये सुनकर प्रीति को अपना बचपन याद आ गया ।
मेरे पापा भी यही कहते थे।
प्रीति  रात मे पढ़ाई करते और सबकी सेवा के साथ साथ अपनी बेटी का भी ध्यान रखते हुए बहुत सी परीक्षाएं पास कर ली थी
लेकिन प्रीति की किस्मत मे न जाने क्या लिखा था।
प्रीति के पति- मैं अब नौकरी नही करूँगा सेठ से मेरी लड़ाई हो गयी
प्रीति- बहुत समझाती है की देखो हमारे पास कुछ भी नही है हम अपने बच्चो को कैसे पालेन्गे ?
पति- मैं दुसरा काम करूँगा।
लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी उसके पति की नौकरी नही लगी घर मे अब सब कुछ ताने प्रीति को ही सुनना पड़ता था
प्रीति सब कुछ बरदास्त करती थी जबकि उसकी कोई गलती नही थी
एक तो बेटी होने पर ताने सुनना और ऊपर से पति ने नौकरी छोड़ दी
प्रीति भगवान की बहुत उपवास और प्रार्थना करती ।
एक दिन प्रीति को पता चला कि एक संविदा की परीक्षा होने वाली है उसने चोरी से उस परीक्षा के फॉर्म भर दिए ।और अपने पति को समझाकर अपने पति की सहायता से ये परीक्षा दी ।
वो पास भी हो गयी थी। लेकिन सबकी नौकरी लग चुकी थी, लेकिन प्रीति का पहली लिस्ट मे नाम नही आया उसने भगवान से बहुत प्रार्थना की और एक सप्ताह बाद ही दूसरी सूची मे प्रीति का नाम आ गया और वो बहुत खुश हुई उसकी नौकरी लग चुकी थी उसने अपनी मेहनत से अपनी एक अलग पहचान बनाई और अपने हुनर गीत, कविता और  नृत्य को भी निखारना शुरु किया उसे सबके ताने मिलते लेकिन उन तानो से उसमे हमेशा खुद को बदलने का जुनून पैदा होता रहा आखिर मे उसने अपनी खुद की तकदीर और तस्वीर को बदल दिया वो अब भी सबकी सेवा भी करती और अपने कर्तव्य बखूबी निभा रही थी अब सबकी नजर मे प्रीति एक अच्छी महिला  बन चुकी थी। और अब तो सास भी पूरे मोहल्ले मे अपनी बहू प्रीतिका उदाहरण देते हुये नही थकती  इस तरह प्रीति ने शादी के बाद अपनी जिन्दगी की तस्वीर बदल ली और वो सब भी महिलाओं  की प्रेरणा स्रोत बन चुकी है।
— वीणा चौबे 

वीणा चौबे

हरदा जिला हरदा म.प्र.