बोधकथा

अंदरूनी बातें शेयर मत कीजिए

स्वयं, परिवार, ऑफिस या देश की अंदरूनी बातें इतर शेयर मत करें ! महर्षि दयानंद सरस्वती एकबार जापान घूमने गये थे, जब भूख तलब हुई, वे वहां के होटलों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए, क्योंकि सभी होटलों व जलपानगृह में पकी मछलियाँ ही टँगी थी । शाकाहारी महर्षिजी समझ नहीं पा रहे थे…. क्या खाऊँ ? फिर इसे खाने का प्रश्न ही नहीं है ! हाथ पर हाथ रखे कुछ नहीं हो सकता था ! महर्षि दयानंद सरस्वती के भारी मन एकवेग कह उठा…’एक दिन भूखा बीता, दूसरा दिन बीता, तीसरा दिन भी भूखा बीता, परन्तु खाने को कुछ भी नहीं मिला….’
जापान में दुकानों पर शाकाहार का नाम लेते ही लोग हँसकर मना कर देते थे । तभी एक कोने में बिल्कुल छोटे – से फल की दुकान उन्हें दिखाई दिया । वे वहाँ गए, जहाँ 12 साल का बालक विक्रेता के तौर पर बैठा था । महर्षिजी ने कहा – ‘बच्चे ! मैं भारत से आया हूँ । मेरी हालत अब बिल्कुल ही खराब होती जा रही है, क्योंकि शाकाहारी होने के नाते मुझे 3 दिनों से कुछ भी खाने को नहीं मिला है, न किसी होटल में, न ही किसी घर में । बालक, कुछ शाकाहार खाने को मिल जाये तो… !’
विक्रेता बालक ने तुरंत फल आगे किये और कहीं से श्रमसाध्य जुगाड़कर दाल – चावल भी ले आया । तीन दिनों से भूखे महर्षिजी छककर खाना खाये । अब वे भारत आने के लिये उर्जा से लबरेज़ थे । महर्षि दयानंद सरस्वती उस विक्रेता बालक को येन (पैसे) देने लगे, तो वह जापानी बालक पैसे लेने से मना कर दिये ।
महर्षिजी उत्तर में कह उठे — ‘बच्चे! इसकी कीमत तो तुम्हें लेनी होगी, क्योंकि मैं भारतीय हूँ और भारतीय ऐसे ही मुफ़्त में खा नहीं सकते !’
तब जापानी बालक ने कहा– ‘ठीक है, अगर आप देना ही चाहते हैं, तो आप मुझे मुहमाँगी कीमत देने का पहले वादा कीजिये ।’
महर्षि दयानंद जी ने वादा किया । बालक कह उठा– ‘भले आदमी, आप यही कीमत अदा कर देना कि अपने भारत में जाकर यह किसी से ना कहना कि आपको मेरे जापान में तीन दिनों तक भूखा रहना पड़ा !’
महर्षिजी के नेत्र सजल हो उठे, उस बालक के आँखों में भी आँसू थे ।
काश ! मेरे भारत के लोगों में भी होते, ऐसा ही स्वाभिमान ! यह लप्रेक (लघु प्रेरक कथा) हमें यह भी सीख देता है कि हम अपने घर – परिवार, कार्यालय अथवा देश की अंदरूनी बातों को अन्यत्र साझा मत कीजिये।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.