गीत/नवगीत

धरती पर न रहे अंधेरा

बाहर दीप जलाने से पहले,
अंतर्मन में इक दीप जला लें।
नेह सुधा-जल से अभिसिंचित कर,
बंजर मन में रस, प्रीति उगा लें।
अविवेक अंधेरा को अब त्यागें।
जोड़ें जीवन के बिखरे धागे।
सुख-शांति है आधार विकास का,
तरु-तटिनी तट मत काट अभागे।
हृदयांगन की हम करें सफाई,
सत्कर्मों को मनमीत बना ले।।
सब अपने ही हैं नहीं पराये।
मिलजुल गायें, खुशी मनायें।
धरती पर न रहे कहीं अंधेरा,
प्रेम, मधुरता, सद्भाव बनायें।
अब हार-जीत से ऊपर उठकर,
सामंजस्य के नव गीत बना लें।।
— प्रमोद दीक्षित मलय

*प्रमोद दीक्षित 'मलय'

सम्प्रति:- ब्लाॅक संसाधन केन्द्र नरैनी, बांदा में सह-समन्वयक (हिन्दी) पद पर कार्यरत। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलावों, आनन्ददायी शिक्षण एवं नवाचारी मुद्दों पर सतत् लेखन एवं प्रयोग । संस्थापक - ‘शैक्षिक संवाद मंच’ (शिक्षकों का राज्य स्तरीय रचनात्मक स्वैच्छिक मैत्री समूह)। सम्पर्क:- 79/18, शास्त्री नगर, अतर्रा - 210201, जिला - बांदा, उ. प्र.। मोबा. - 9452085234 ईमेल - pramodmalay123@gmail.com