कविता

आई दीपावली

अाई दीपावली
लाई खुशियों की सौगात
न दिखे किसी चेहरे पर मलीनता
हर चेहरा हो प्रफुल्लित
अभाव न रहे किसी को
लक्ष्मी जी करें
कृपा सब एक पर
दरिद्रता का नाश हो
धन धान्य से भरे भंडार हो
दिलों की कुलिष्ता मिटे
अंदर का तिमिर छटे
प्रकाशित हो दिलों में प्रकाश की लौ
न रहे दुनियां में कहीं अंधेरा
चारों और रोशनी की जगमगाहट हो
आपस का बैर हो ख़तम
भाईचारे का विस्तार हो
अाई दीपावली
खुशियां ही खुशियां
दिखे चारों ओर

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020