राजनीति

सर्वसुलभ व गुणवत्तापूर्ण हो शिक्षा

भारत की ज्यादातर आबादी आज भी गांवों में बसती है इसलिए भारत में ग्रामीण शिक्षा का विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है। ‘शिक्षा की वार्षिक स्थिति पर रिपोर्ट’ नाम के सर्वे से पता चलता है कि भले ही ग्रामीण छात्रों के स्कूल जाने की संख्या बढ़ रही हो पर इनमें से आधे से ज्यादा छात्र दूसरी कक्षा तक की किताब पढ़ने में असमर्थ हैं और सरल गणितीय सवाल भी हल नहीं कर पाते। इतना ही नहीं गणित और पढ़ने का स्तर भी घटता जा रहा है। भले ही प्रयास किए जा रहे हों पर उनकी दिशा सही नहीं है। सर्वे में इसे लेकर जो कारण बताया गया है वो एक से ज्यादा ग्रेड के लिए एकल कक्षा की बढ़ती संख्या है। कुछ राज्यों में छात्रों और शिक्षकों की हाजिरी में भी कमी आ रही है। यह कुछ कारण हैं जिनकी वजह से भारत में ग्रामीण शिक्षा विफल रही है।

देश की शिक्षा न हीं केंद्रीयकृत या केंद्र द्वारा नियंत्रित है और न हीं शिक्षा व्यवस्था एकसमान है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए केंद्र द्वारा संचालित नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय इत्यादि जैसे संस्था की संख्या अभी भी बहुत हीं कम है। एक समान शैक्षणिक स्थिति, शैक्षणिक संसाधन व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की भारी कमी है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकारें अपने राज्य की भौगौलिक, सामाजिक व शैक्षणिक स्थिति को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम निर्धारित कर अपनी जनता को शिक्षा मुहैय्या कराती है। ग्रामीण भारत के सुदूर अंचलों में असंख्य गाँव तो ऐसे हैं कि वहाँ अभी भी कोई स्कूल नहीं है, वहॉं के बच्चे ओपन स्कूलिंग के जरिये शिक्षा पाते हैं। ऐसी विस्मयकारी शैक्षणिक परिस्थितियों में सर्वप्रथम एक समान शिक्षा प्रणाली की दरकार है, मतलब जो शिक्षा,शैक्षणिक माहौल, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केंद्रीय विद्यालय के बच्चों को मिलती है वही शिक्षा ग्रामीण भारत के सुदूर अंचलों में बसे बच्चे को भी मिलें। एक समान शिक्षा, एक समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षक, एक समान गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक संस्थान पूरे देश के सभी बच्चों को बिना किसी भेदभाव के मिलें। तभी प्रतियोगिता परीक्षा में समान प्रतिस्पर्धा हो सकेगी। जब देश मे एक समान शिक्षा व्यवस्ता ही नहीं है तो किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए एकल प्रवेश परीक्षा का कोई मतलब नहीं रह जाता। अतः पहले की तरह प्रवेश के लिए दो परीक्षायें आयोजित हो, पाठ्यक्रम में उपलभ्द कुल सीटों के 15% सीट के लिए केंद्रीयकृत परीक्षा का अलग संचालन हो, और राज्य कोटे के  85% सीटों के लिए परीक्षा का अधिकार राज्य के परीक्षा सनचसलन करने वाली कमेटी को हस्तांतरित कर दिए जाएं। जिससे राज्य अपने राज्य के  शैक्षणिक पाठ्यक्रम व शैक्षणिक स्थिति को ध्यान में रखकर परीक्षा का संचालन करें।भारत में जो शिक्षा पद्धति प्रचलित है, उसके कई पक्षों में सुधार की आवश्यकता है। हमारी शिक्षा व्यवस्था पर एक वृहत् जनसमूह को शिक्षित करने का उत्तरदायित्व है। साधन और संसाधन बहुत सीमित हैं, परिस्थितियाँ भी अनुकूल नहीं, फिर भी हम लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर प्रयत्नशील हैं। फिर भी हम दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ें तो इस निराशाजनक स्थिति से उभर सकते हैं। अगर कुछ चुनौतियों की बात करें तो –
’सबके लिए शिक्षा’ की सुविधा उपलब्ध करवाना है तो प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति से यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि वह इस लक्ष्य प्राप्ति में सहयोग प्रदान करें। ‘each one teach one’ का नारा इस दिशा में सफलता दिला सकता है। इसके लिए सरकारी तंत्र के साथ स्वयंसेवी और सामाजिक संगठनों को भी जोड़ना होगा।

*बाल भास्कर मिश्र

पता- बाल भाष्कर मिश्र "भारत" ग्राम व पोस्ट- कल्यानमल , जिला - हरदोई पिन- 241304 मो. 7860455047